ठीक उसी समय जब भारत के कई शहरों में इंडिगो की अव्यवस्था और एक हजार से ज्यादा उड़ानों के कैंसिल होने से हाहाकार मचा था, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जो भारत दौरे पर थे, उनका एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर होने लगा. कई लोगों ने इस वीडियो को इंडिगो संकट के बीच यह कहते हुए शेयर किया- 'ओलिगार्क्स (बड़े कारोबारी) देश को अपने हिसाब से नहीं चला सकते.'
वीडियो में पुतिन, जो उस समय रूस के प्रधानमंत्री थे, एक टॉप ओलिगार्क को लाइव टीवी पर जमकर फटकार लगाते दिखते हैं, जो कभी रूस का सबसे अमीर व्यक्ति था और जिसने अपने कर्मचारियों को तीन महीने से सैलरी नहीं दी थी. न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे हेडलाइन दी थी: 'Putin plays sheriff for cowboy capitalists'. बाद में यह पूरा वाकया 'सिग्मा पुतिन' एनर्जी वाले वायरल रील्स का हिस्सा बन गया.
इंडिगो के साथ क्या गड़बड़ हुई?
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन, 60% से अधिक मार्केट शेयर वाली इंडिगो, अचानक धड़ाम हो गई. एक ही दिन में सैकड़ों उड़ानें कैंसिल हो गईं. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद में हजारों यात्री फंसे रहे. एयरपोर्ट फ्लोर वेटिंग रूम बन गए, लोग कुर्सियों पर सोते दिखे, बैगों का ढेर लग गया, और लोगों के अनुसार एयरलाइन की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही थी.
संकट की असली वजह थी DGCA के नए Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियम. इसमें पायलटों के लिए सख्त आराम अवधि और रात की ड्यूटी पर कड़े प्रतिबंध थे. इंडिगो इन नियमों को लागू करने के लिए तैयार ही नहीं थी. नतीजा- पूरा ऑपरेशन ही चरमरा गया. भारी नाराजगी के बाद DGCA ने सिर्फ इंडिगो के लिए रात वाली ड्यूटी से जुड़े नियम फरवरी 2026 तक आंशिक रूप से ढीले कर दिए. कई लोगों ने कहा- इससे साबित हो गया कि इंडिगो की 'प्रेशर पॉलिटिक्स' कामयाब रही.
और यहीं याद आया- पुतिन का 2009 वाला क्लासिक वीडियो.
पुतिन का 2009 का 'ओलिगार्क मास्टरक्लास'
साल था 2009. रूस के पिकाल्योवो शहर में हड़कंप मचा था. अरबपति ओलेग डेरीपास्का की फैक्ट्रियों ने तीन महीने से मजदूरों को सैलरी नहीं दी थी. सैलरी नहीं थी, परिवार भूखे थे. गुस्से में ज्यादातर महिलाएं हाइवे जाम कर घंटों तक विरोध कर रही थीं. इसी माहौल में पुतिन हेलिकॉप्टर से पहुंचे. कैमरे लाइव थे.
पुतिन ने न नरमी दिखाई, न बंद कमरे में बातचीत की. उन्होंने खुले मंच से उस उद्योगपति को फटकार लगाई- मजदूरों को धोखा देने और देश को शर्मिंदा करने के लिए. उन्होंने उसे 'कॉकरोच' जैसा व्यवहार करने वाला बताया और कहा कि यह स्थिति 'अस्वीकार्य' है. फिर आया वह पल, जो 'लेजेंडरी' कहा जाता है.
'गिव मी बैक माई पेन'
पुतिन ने डेरीपास्का से पूछा, 'क्या तुमने साइन किया? मुझे तुम्हारा सिग्नेचर नहीं दिख रहा. आकर साइन करो.' पुतिन ने कागज उसकी तरफ फेंका और कहा, 'साइन करो.' डेरीपास्का कांपते हुए साइन करता है. जाते समय वह पेन भी ले जाने लगता है, तब पुतिन का आखिरी वार आता है- 'मेरा पेन वापस दो.'
लोगों ने क्या कहा?
इस घटना का प्रतीकात्मक महत्व बड़ा था. दुनिया के सामने एक अरबपति को कानून के आगे झुकना पड़ा. कुछ ही समय बाद मजदूरों को वेतन मिल गया और स्थिति सामान्य हो गई. UPSC मेंटर शेखर दत्त ने लिखा- 'इंडिगो की ओर से कथित सरकारी दबाव बनाना मुझे 2009 के पुतिन की याद दिलाता है.' एक यूजर ने पूछा, 'क्या भारत इंडिगो पर पुतिन वाला 2009 मॉडल लागू कर सकता है?'
कई लोगों का कहना है कि इंडिगो संकट केवल उड़ानों का कैंसिलेशन भर नहीं है, बल्कि यह चेतावनी है कि जब कॉरपोरेट ताकत राज्य की संप्रभुता को किनारे लगाने की कोशिश करती है तो नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है. 2009 का पुतिन वीडियो याद दिलाता है कि सत्ता हमेशा नागरिकों से स्टेट की ओर बहनी चाहिए- न कि कॉरपोरेट शक्तियों की ओर.