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ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो अरेस्ट, तख्तापलट मामले में सजा शुरू होने से पहले हुई गिरफ्तारी

ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपती बोल्सोनारो को बड़ा झटका लगा है. हाल ही में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से एक मामले में 27 साल की सजा सुनाई गई थी, वो अगले कुछ समय दिन बाद सजा की शुरुआत होनी थी. हालांकि, इसके पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.

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ब्राज़ील में तख्तापलट साजिश केस के बाद बोल्सोनारो की गिरफ्तारी से राजनीतिक हलचल तेज़ (Photo: AP)
ब्राज़ील में तख्तापलट साजिश केस के बाद बोल्सोनारो की गिरफ्तारी से राजनीतिक हलचल तेज़ (Photo: AP)

Brazil ex-president Bolsonaro arrested: ब्राज़ील की राजनीति में शनिवार को एक बड़ा मोड़ तब आया जब पूर्व राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को 27 साल की जेल की सज़ा काटने से कुछ ही दिन पहले गिरफ़्तार कर लिया गया. यह वही मामला है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2025 में उन्हें दोषी पाया था.

2022 के चुनाव में जब बोल्सोनारो लूला दा सिल्वा से हार गए, तभी से उन्होंने सत्ता पर बने रहने की कोशिशें तेज़ कर दी थीं. अदालत की जांच में सामने आया कि उन्होंने सेना और अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक सैन्य तख्तापलट की योजना बनाई. 

उन्होंने चुनाव की वैधता पर सवाल उठाए और एक ऐसी साज़िश रची जिसमें लूला और एक सुप्रीम कोर्ट जज को हटाने का प्लान तक शामिल था.

ब्रासीलिया हमला – तख्तापलट की बड़ी कड़ी

जनवरी 2023 में उनके समर्थकों ने सरकारी इमारतों पर हिंसक हमला किया. हजारों लोग सड़क पर उतर आए, संसद और अन्य भवनों को नुकसान पहुंचाया था. अदालत ने इसे बोल्सोनारो द्वारा तैयार किए गए बड़े षड्यंत्र का हिस्सा माना. इस हमले के बाद 1500 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 

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अदालत का ऐतिहासिक फैसला

पांच न्यायाधीशों की पैनल ने बोल्सोनारो को पांच गंभीर अपराधों में दोषी ठहराया. 

  • तख्तापलट की साजिश
  • लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाने की कोशिश
  • हिंसा को बढ़ावा देना
  • चुनाव प्रक्रिया को अस्थिर करना
  • एक आपराधिक नेटवर्क का नेतृत्व करना
  • एक जज ने उन्हें बरी करने की बात कही, लेकिन बहुमत ने उन्हें दोषी मानते हुए लंबी सज़ा का रास्ता साफ़ कर दिया.

यह भी पढ़ें: कैसे कम होगी धरती की गरमी, क्या विकसित देश दिखाएंगे नरमी? ब्राजील में मंथन जारी

राजनीतिक असर

बोल्सोनारो की यह गिरफ्तारी और सज़ा ब्राज़ील के राजनीतिक माहौल में तूफ़ान ला सकती है. 2026 के चुनाव से पहले यह फैसला दाएं और बाएं खेमों की लड़ाई को और तेज़ करेगा. इसे ब्राज़ील में “लोकतंत्र बचाने का फैसला” भी कहा जा रहा है.

इनपुट: AP

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