बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के एक नेता हसनत अब्दुल्ला के बयान ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर नई बहस छेड़ दी है. बीते दिन उन्होंने ढाका के केंद्रीय शहीद मीनार में इंकलाब मंच द्वारा आयोजित सर्वदलीय विरोध रैली को संबोधित किया. उन्होंने दावा किया कि अगर बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश की गई, तो इसके गंभीर क्षेत्रीय परिणाम होंगे.
हसनत अब्दुल्ला ने भारत को सीधे धमकी देते हुए कहा कि अगर बांग्लादेश की संप्रभुता, मतदान अधिकार और मानवाधिकारों का सम्मान न करने वाली ताकतों को शरण दी गई, तो बांग्लादेश भी जवाब देगा. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता की आग सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे क्षेत्र में फैल सकती है.
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एनसीपी नेता ने आरोप लगाया कि देश में अराजकता फैलाने, चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने और चुनाव उम्मीदवार उस्मान हादी पर हमले से जुड़े लोगों को भारत का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने यह भी दावा किया कि भारतीय एजेंसियां सीमा पर बांग्लादेशी नागरिकों की हत्याओं में शामिल रही हैं.
भारत की भूमिका की आलोचना करते हुए हसनत ने कहा कि आजादी के 54 साल बाद भी बांग्लादेश को "गिद्धों" जैसी ताकतों से जूझना पड़ रहा है, जो देश पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत बांग्लादेश को कमजोर कर एक संघर्षग्रस्त देश में बदलना चाहता है.
हसनत अब्दुल्ला ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना समर्थक पैसे, हथियार और प्रशिक्षण के जरिए बांग्लादेश के खिलाफ लोगों को उकसा रहे हैं.
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इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे "स्पाइनलेस" करार दिया. उस्मान हादी पर हुए जानलेवा हमले को 'अलग-थलग घटना' बताए जाने पर उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए.
हसनत ने कहा कि चुनाव आयुक्त बनने के लिए योग्य लोगों की कोई कमी नहीं है, लेकिन "हादी, जो इस दुनिया से चले गए, उनकी जगह कोई नहीं ले सकता." उनके इस बयान के बाद बांग्लादेश की राजनीति में तनाव और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं.