ईरान ने भारत को भी चीन की तरह स्ट्रैटजिक डील ऑफर की है. इस डील के तहत चीन ने भारत को तेल की आपूर्ति करने की इच्छा दोहराई है. ईरान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुए ऊर्जा संकटों के बीच भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में वो मदद करेगा.
भारत के लिए यह ऑफर इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंध लगने से पहले तक ईरान भारत के लिए प्रमुख तेल निर्यातक देश था.
इस डील के बारें में जानकारी रखने वाले लोगों ने लाइव मिंट से बताया कि अमेरिकी प्रतिबंध से प्रभावित ईरान, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. इसी मकसद से ईरान ने 2021 में चीन के साथ हुए रणनीतिक सहयोग की तर्ज पर भारत को भी इस तरह की डील ऑफर की है.
विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी से किया इनकार
ईरान ने स्ट्रैटजिक डील के तहत भारत से निवेश करने और अपने ऊर्जा बुनियादी ढांचे को विकसित करने की पेशकश की है. पिछले महीने दिल्ली दौरे पर आए ईरान के उप विदेश मंत्री अली बघेरी कानी ने विशेषज्ञों से बातचीत के दौरान इस प्रस्ताव की पुष्टि की थी. इस प्रस्ताव के बारे में पूरी जानकारी अभी साफ नहीं है. सूत्रों के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
चीन के साथ डील के बारे में पूरी जानकारी नहीं
पिछले साल ईरान और चीन के बीच हुए स्ट्रैटजिक डील के बारें में भी पूरी जानकारी को गुप्त रखा गया है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, पिछले साल ईरान ने चीन के साथ 25 साल के लिए सहयोग समझौता किया है. इस समझौते के तहत चीन अगले 25 साल में ईरान के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में 400 अरब डॉलर का निवेश करेगा. इसके बदले ईरान चीन को सस्ते दामों में तेल बेचेगा. ईरान और चीन के बीच हुए इस स्ट्रैटजिक डील को पश्चिम एशिया में चीन के विस्तार के रूप में देखा गया था. दोनों देशों के बीच हुए इस सौदे को ईरान में गैर पश्चिमी देशों को निवेश के लिए आकर्षित करने की कोशिशों का परिणाम बताया जा रहा था.
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी सरकारी तेल कंपनियां भी खाड़ी देश (गल्फ कंट्री) से तेल और गैस खरीदने पर विचार कर रही है. भारत ने पहले भी ईरान के बुनियादी ढांचे के निर्माण में भूमिका निभाई है. ईरान के उप विदेश मंत्री अली बघेरी कानी की भारत दौरे के दौरान दोनों देश चाबहार बंदरगाह के शाहीद बेहेस्ती टर्मिनल (Shahid Behesti terminal) के विकास में सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए थे.
ईरान अपने देश में निवेश के लिए गैर पश्चिमी देश चीन, भारत और रूस जैसी शक्तियों को आकर्षित कर रहा है. चीन के बाद अगर भारत के साथ भी स्ट्रैटजिक डील होती है तो परमाणु कार्यक्रम के कारण अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों से प्रतिबंध झेल रहे ईरान को एशिया क्षेत्रों में संतुलन बनाने में मदद मिलेगी.