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‘बहुत काम है सर...इतना प्रेशर संभल नहीं रहा...', कहते हुए DM के सामने फूटकर रो पड़ीं BLO, वीडियो

पश्चिम बर्धमान जिले के सालानपुर में काम के अत्यधिक दबाव से परेशान महिला बीएलओ श्यामली मंडल जिलाशासक के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं. SIR परियोजना के तहत अतिरिक्त कार्य मिलने से वे मानसिक दबाव में थीं. जिलाशासक एस. पोन्नाबलम ने उन्हें सांत्‍वना दी और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया. घटना ने प्रशासनिक कर्मचारियों पर बढ़ते काम के बोझ को उजागर किया है.

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‘बहुत काम है सर...',कहते हुए DM के सामने फूटकर रोई BLO  (Photo: itg)
‘बहुत काम है सर...',कहते हुए DM के सामने फूटकर रोई BLO (Photo: itg)

पश्चिम बर्धमान जिले के सालानपुर ब्लॉक से एक मार्मिक दृश्य सामने आया है, जहां अतिरिक्त कार्यभार से जूझ रही महिला बीएलओ श्यामली मंडल मंगलवार को जिलाशासक एस.पोन्नाबलम से बात करते हुए रो पड़ीं. वे डीएम के सामने अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और अचानक फूट-फूटकर रोने लगीं.

घटना रूपनारायणपुर क्षेत्र की है, जहां 67 नंबर बूथ की बीएलओ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्यामली मंडल को हाल ही में SIR परियोजना (Systematic Information Registration Project) के तहत अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी. पहले से ही आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन और मतदाता सूची संबंधी कार्य संभाल रही श्यामली अब SIR प्रोजेक्ट के अंतर्गत डेटा अपडेट और सर्वेक्षण का भी काम कर रही थीं, जिससे उनके ऊपर काम का बोझ अत्यधिक बढ़ गया.

मंगलवार को जब जिलाशासक एस. पोन्नाबलम एक सरकारी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सालानपुर पहुंचे, तो मौके पर मौजूद श्यामली मंडल ने अपने कार्यभार को लेकर शिकायत की. बातचीत के दौरान वे भावुक हो उठीं और रोने लगीं. उन्होंने बताया कि दोहरी जिम्मेदारियों के कारण वे न शारीरिक रूप से संभल पा रही हैं, न मानसिक रूप से चैन पा रही हैं.

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श्यामली की स्थिति देखकर जिलाशासक ने तुरंत उन्हें सांत्वना दी और कहा कि प्रशासन उनके कार्यभार को समायोजित करने की दिशा में कदम उठाएगा. उन्होंने उनके समर्पण और ईमानदारी की सराहना की और भरोसा दिलाया कि जिला प्रशासन बीएलओ और आंगनवाड़ी कर्मियों के कार्य संतुलन पर गंभीरता से विचार करेगा.

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, SIR परियोजना के तहत हाल के महीनों में बीएलओ कर्मियों को अतिरिक्त सर्वे और डाटा अपडेट की जिम्मेदारियाँ दी गई हैं, जिसके कारण कई कर्मचारी मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं. श्यामली मंडल की भावनात्मक टूटन ने इस व्यवस्था पर नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया है.
 

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