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मुंबई कस्टम में नौकरी, करप्शन और एक्शन... पहले भी जेल जा चुका है ललितपुर का फर्जी डॉक्टर अभिनव सिंह

उत्तर प्रदेश के ललितपुर सामने आई फर्जी डॉक्टर की कहानी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पुलिस का कहना है कि अमेरिका में रह रहे जीजा की डिग्रियों के सहारे साले ने खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताकर नौकरी हासिल कर ली. आरोपी अभिनव सिंह दरअसल इंजीनियर निकला. वह मुंबई कस्टम में रह चुका है.

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पुलिस ने फर्जी डॉक्टर को किया गिरफ्तार. (Photo: Screengrab)
पुलिस ने फर्जी डॉक्टर को किया गिरफ्तार. (Photo: Screengrab)

उत्तर प्रदेश के ललितपुर से बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां अपने जीजा की डिग्रियों पर एक इंजीनियर अस्पताल में डॉक्टर बनकर नौकरी कर रहा था. मेडिकल कॉलेज में तीन साल से हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) के पद पर था. पुलिस ने आरोपी अभिनव सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. अभिनव के जीजा अमेरिका में हैं. वह खुद मुंबई कस्टम में पदस्थ रहा है.

दरअसल, पूरा मामला सदर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है. जैसे ही इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच के बाद आरोपी को अरेस्ट कर लिया. 

एसपी मोहम्मद मुश्ताक ने कहा कि आरोपी अभिनव सिंह पिछले तीन साल से अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता के नाम पर जिला मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर कार्य कर रहा था. डॉ. राजीव गुप्ता वर्तमान में अमेरिका में रहते हैं. आरोपी ने उनके नाम से फर्जी डिग्रियां, दस्तावेज और अन्य प्रमाण पत्र तैयार कर खुद को विशेषज्ञ डॉक्टर बताकर नौकरी हासिल कर ली. 

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पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी अभिनव सिंह असल में डॉक्टर नहीं, बल्कि इंजीनियर है. उसने सुनियोजित तरीके से अपने जीजा की पहचान का इस्तेमाल कर न केवल ललितपुर, बल्कि इससे पहले मथुरा में भी डॉ. राजीव गुप्ता के नाम से फर्जी डॉक्टर बनकर काम किया था. इस खुलासे के बाद सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर बिना किसी मेडिकल योग्यता के वह कैसे अस्पताल और मेडिकल संस्थान में तैनात होता रहा.

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इतना ही नहीं, आरोपी का आपराधिक और विवादित रिकॉर्ड भी सामने आया है. पुलिस के मुताबिक, अभिनव सिंह पहले मुंबई में कस्टम डिपार्टमेंट में भी रह चुका है. वहां वह एक भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हुआ और उसे 16 महीने की जेल हो चुकी है. जेल से वह बाहर आया और इसके बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.

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एसपी ने कहा कि फिलहाल आरोपी को अरेस्ट कर लिया गया है.पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है. यह भी पता लगाया जा रहा है कि फर्जी दस्तावेज किसने और कैसे तैयार किए, मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति के समय किन अधिकारियों ने सत्यापन किया और इस पूरे नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं. 

इस मामले ने सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल है कि आखिर बिना मूल दस्तावेजों के सत्यापन के एक व्यक्ति को कार्डियोलॉजिस्ट जैसे पद पर कैसे तैनात कर दिया गया? तीन साल तक मरीजों का इलाज करने वाला व्यक्ति अगर डॉक्टर ही नहीं था, तो इस दौरान कितनी जानें खतरे में पड़ी होंगी? फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है और मामले से जुड़े सभी दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं.

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