वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे से संबंधित मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया है. इस मामले में 3 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा. वहीं तब तक ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर रोक रहेगी. दरअसल, बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू न करने को कहा था. अब हाईकोर्ट के अगले फैसले तक ये आदेश जारी रहेगा.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान एएसजीआई ने कोर्ट में कहा कि एएसआई 100 वर्ष से अधिक पुराना है. एएसआई स्मारकों की सुरक्षा, पुरावशेषों की सुरक्षा और उनके संरक्षण का काम करता है. यह देश के भीतर पुरातात्विक गतिविधियों पर भी नज़र रखता है. एएसआई अधिकारी: इसे अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन शब्दकोश का अर्थ खुदाई है.
इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि उत्खनन के बिना खुदाई संभव नहीं? जवाब में एएसआई अधिकारी ने कहा कि पुरातात्विक प्रकृति की पुरावशेषों को खोजने का प्रयास उत्खनन है या नहीं.
चीफ जस्टिस: क्या ड्रिलिंग को अधिनियम में परिभाषित किया गया है?
एएसआई एक्सपर्ट: नहीं, हम नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. ज्यादा से ज्यादा ब्रश करने की जरूरत पड़ सकती है. कोई खरोंच या क्षति नहीं होगी.
चीफ जस्टिस: आप गतिविधि कब तक पूरी करेंगे?
एक्सपर्ट: हम 4 अगस्त तक खत्म कर देंगे.
चीफ जस्टिस: मंदिर कब तक अस्तित्व में था?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन: अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित नया मंदिर (ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में मौजूद है). पुराने मंदिर को औरंगजेब ने मस्जिद में बदल दिया था लेकिन वह इसे पूरी तरह से नहीं बना सका. ज्ञानवापी परिसर के अंदर, संस्कृत श्लोक, पुराने ज्योतिर्लिंग, हिंदू कलाकृतियाँ आदि मौजूद हैं. हमारे आवेदन के साथ पश्चिमी दीवार की एक तस्वीर है.
जिला कोर्ट ने दिया था ASI सर्वे का आदेश
बता दें कि पिछले दिनों जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.