आजमगढ़ के सरफराज खान भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले 311वें खिलाड़ी बन गए हैं. राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में शामिल हुए सरफराज को महान क्रिकेटर अनिल कुंबले ने टेस्ट कैप पहनाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्वागत किया. इस पर उनके पिता नौशाद खान भावुक हो गए. सरफराज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली पारी में ही अर्धशतक (62) जड़कर दुनिया को अपने होने का अहसास कराया.
सरफराज खान के पैतृक गांव बासूपार में खुशियों का माहौल है. गांव वाले सरफराज की सफलता से बेहद खुश हैं. सरफराज खान के परिवार के करीबियों का कहना है कि सरफराज के पिता ने काफी मेहनत की. उसी का ही परिणाम है कि आज सरफराज को सफलता मिली है. पिता नौशाद खान ने कहा कि बीसीसीआई सचिव जय शाह ने उनका हौसला बढ़ाया और भरोसा दिलाया था कि सरफराज भारत के लिए जरूर खेलेगा. उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगा कि वो किसी दूसरे धर्म से आते हैं.
नौशाद बोले- ऐसा लगा जैसे टेस्ट कैप मुझे मिली है
सरफराज के पिता नौशाद ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि जबसे बेटे ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था. तब से यही सोचा था कि अपनी जिंदगी में जो मैं नहीं कर पाया वो बस सरफराज कर ले. लोग उसके नाम से मुझे जानें, जब उसने टेस्ट कैप पहनी तो ऐसा लगा कि कैप मैंने पहनी है. उसे क्रिकेटर बनाने में पूरे घर ने बड़ी महनत की.
बचपन से एक रूटीन बना हुआ था, न कभी उसने गोटियों खेली न पतंग उड़ाई. दोस्तों के साथ भी इधर-उधर नहीं घूमा. सुबह 4 उठकर उसकी मां खाना बनाकर देती थी और वीटी प्रैक्टिस करने निकल जाते थे. फिर घर आकर प्रैक्टिस करते थे यह रूटीन कई सालों से चल रहा था. कभी अच्छा खेल रहा था तो कभी नहीं. बस फोकस के साथ अपने काम में लगे हुए थे. जब कैप मिली तो ऐसा लगा वो सपना पूरा हो गया.
ऐसा लगा जो बच्चे अपना घर छोड़कर मेहनत कर रहे हैं, उनका सपना पूरा हुआ है. मैदान पर न पीने का पानी न बाथरूम होता है. आजाद मैदान पर इन सुविधा को लेने के लिए पैसे देने होते हैं. इस जगह से यशसवी जायसवाल, पृथ्वी शॉ उससे पहले सचिन और विनोद कांबली भी निकले. आज सबकी दुआओं से सरफराज भी वहां पहुंचा है.
92 सालों की यात्रा है, भारतीय टेस्ट क्रिकेट की. उसमें अबतक 310 लोगों ने टेस्ट क्रिकेट का सफर तय किया है और जब 311वीं कैप सरफराज को मिली तो आंख में आंसू आ गए. तकलीफ जब आती है तो बच्चे रो लेते हैं, लेकिन पैरेंट्स और कोच नहीं रो पाते उस दिन मैंने अपनी भड़ास निकाल ली.
पिता नौशाद ने बेटे सरफराज को रात में भूखा सुलाया
नौशाद खुद एक रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी रहे हैं, प्रोबेल में हर बार टीम में उनका नाम रहता था लेकिन वो खेल नहीं पाए थे. इसके बाद उन्होंने वो सपना अपने बेटों के जरिए पूरा करने का सोचा. नौशाद खुद एक रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी रहे हैं, प्रोबेल में हर बार टीम में उनका नाम रहता था लेकिन वो खेल नहीं पाए थे. इसके बाद उन्होंने वो सपना अपने बेटों के जरिए पूरा करने का सोचा. नौशाद ने बताया कि सरफराज की जर्सी का नंबर 9 और 7 लिखा है, दरअसल वो उनका ही नाम है, नौशाद यानी (9 और 7).
ऐसा लगता है कि वो मैदान में गए हैं लेकिन मैं ही स्टांस ले रहा हूं और चौके और छक्के भी जड़ रहा हूं. जो गलतियां मैंने की बस वो गलतियां सरफराज न करे. पिता नौशाद ने बताया कि सरफराज को जानबूझकर रात में भूखा सुलाया और घर पर मोटरसाइकिल होने के बाद भी ट्रेन से सफर करने को कहा. क्योंकि इतना बड़ा किटबैग ट्रेन में ले जाना और जल्द आउट होने पर उन्हें कैसा फील होता यह सब उन्हें सिखाना था.
सरफराज को देरी से मौका मिलने पर नौशाद ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोगों को जल्दी मौका मिल जाता है और कुछ को देर में सूर्यकुमार यादव को भी 30 साल की उम्र में देश के लिए खेलने का मौका मिला था. लेकिन इस दौरान कई बार ऐसा लम्हा आया था जब उन्हें लगा कि शायद अब सरफार को कभी मौका नहीं मिल पाएगा.
सरफराज खान के गांव में है जश्न का माहौल
सरफराज खान ने साल 2014 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत कर दी थी. वो भारत की तरफ से अंडर-19 भी खेला है. सरफराज खान ने साल 2009 में अपने पहले हरी शील्ड मैच में 439 रन बनाकर दुनिया को चौंका दिया था. समय के साथ-साथ सरफराज खान क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाते रहे. उसी मेहनत का परिणाम है कि सरफराज खान को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली है.
12 साल की उम्र में तोड़ दिया था सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड
महज 12 साल की उम्र में उन्होंने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का एक बेहद ही खास रिकॉर्ड को तोड़ा था. उन्होंने स्कूल लेवल के मशहूर 'हैरिस शील्ड' टूर्नामेंट में 439 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. सचिन ने 346 रन बनाए थे. इसके बाद से ही सरफराज खान सुर्खियों में आ गए थे. वहीं उन्होंने रणजी ट्रॉफी में दमदार प्रदर्शन के जरिए टीम इंडिया में जगह बनाई है.