यूपी सरकार सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं सुधारने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है, लेकिन इन्हीं प्रयासों पर उनके ही कर्मचारी पानी फेरते नजर आ रहे हैं. बांदा की डीएम जे. रिभा बुधवार को कलेक्ट्रेट में मीटिंग के लिए निकलीं थीं, लेकिन रास्ते में अचानक उन्होंने रूट बदल दिया. डीएम की गाड़ी सीधे जिला महिला अस्पताल पहुंच गई, जहां का हाल देखकर वे खुद दंग रह गईं. चारों तरफ गंदगी, डॉक्टरों की गैरहाजिरी और वार्ड में जच्चा-बच्चा पूरी तरह भगवान भरोसे थे.
16 स्टाफ समेत 6 डॉक्टर गायब, जच्चा-बच्चा बिना देखभाल के
अस्पताल पहुंचते ही डीएम ने सबसे पहले वार्डों का निरीक्षण किया. पीएनसी वार्ड, एसएनसीयू, लेबर रूम और ओपीडी हर जगह हालत बेहद खराब मिली. कई गर्भवती महिलाएं वार्ड में भर्ती थीं, लेकिन उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं मिला. रिकॉर्ड रजिस्टर में सब 'ऑल इज वेल' दिखाया गया था, जिसने डीएम को और ज्यादा नाराज कर दिया. मौके से लगातार 6 डॉक्टर, 2 लैब टेक्नीशियन और 8 अन्य कर्मचारी गायब मिले. अचानक निरीक्षण से अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया.
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डीएम का सख्त एक्शन- सभी का वेतन काटने का आदेश
डीएम जे. रिभा ने मौके पर ही कार्रवाई शुरू कर दी. उन्होंने निर्देश दिया कि अनुपस्थित 6 डॉक्टरों, 2 लैब टेक्नीशियनों और 8 अन्य कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा जाए. वहीं पीएनसी वार्ड में नवप्रसूता महिलाओं की केसशीट न मिलने और स्टाफ नर्स के गायब होने पर नर्स का एक दिन का वेतन भी रोकने के आदेश जारी हुए.
ड्यूटी चार्ट और 48 घंटे की अनिवार्य देखभाल
डीएम कार्यालय द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि सभी मेडिकल स्टाफ का ड्यूटी चार्ट तैयार करके अस्पताल में खुलकर प्रदर्शित किया जाए. इसके अलावा, डीएम ने निर्देश दिया कि प्रसव के बाद सभी नवप्रसूता महिलाओं को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में रखकर मेडिकल देखभाल उपलब्ध कराई जाए. अचानक निरीक्षण के बाद जिला महिला अस्पताल में अफसरों से लेकर स्टाफ तक सबमें हड़कंप मचा हुआ है.