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यूपी: करोड़ों का कारोबार छोड़ 30 साल के हर्षित ने लिया संन्यास, बने जैन मुनि, पिता बोले- बेटे ने सत्य को करीब से देखा

बागपत निवासी 30 वर्षीय हर्षित जैन ने दिल्ली में अपना करोड़ों का कपड़ों का बड़ा कारोबार, घर, गाड़ी और सुख-सुविधाओं भरा जीवन त्याग दिया है. कोविड के दौरान मन में उठे सवालों ने उनकी दिशा बदल दी, और अब उन्होंने जैन मुनि बनकर वैराग्य की राह अपना ली है.

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बागपत के हर्षित जैन ने लिया सन्यास (Photo- ITG)
बागपत के हर्षित जैन ने लिया सन्यास (Photo- ITG)

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के निवासी 30 वर्षीय हर्षित जैन करोड़ों की प्रॉपर्टी छोड़कर संन्यासी बन गए हैं. उन्होंने जैन मुनि के रूप में आगे की जिंदगी बिताने का फैसला किया है. उनके इस कदम की चारो तरफ चर्चा हो रही है. दिल्ली में कपड़ों का बड़ा कारोबार था, मगर अब वो घर, गाड़ी, बंगला आदि सब त्याग चुके हैं. आइये जानते हैं पूरी कहानी...

दरअसल, हर्षित जैन दिल्ली में कपड़ों के बड़े व्यापारी थे जो अब करोड़ों का कारोबार, बड़ा परिवार, सुख-सुविधाओं से भरी जिंदगी सबकुछ होते हुए भी वैराग्य को अपना चुके हैं. हर्षित का परिवार बागपत का जाना-माना परिवार है. पिता सुरेश जैन दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स का बड़ा बिजनेस चलाते हैं. भाई संयम मैक्स अस्पताल में डॉक्टर हैं. लेकिन इन सबके बीच हर्षित के मन में कोविड के दौर में उठे सवालों ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी.

हर्षित जैन ने कही ये बात 

हर्षित के मुताबिक, कोविड के समय इंसानियत का टूटना, अपनों का दूर होना, डर का असर और मौत की सच्चाई ने उनके भीतर की दुनिया हिला दी. एक भाई को दूसरे बीमार भाई को दूर से खाना देते देखा, मौत के बाद लोगों को कंधा देने से कतराते देखा... इन सबके चलते उन्होंने महसूस किया “इंसान अकेला आया है… और अकेला ही जाएगा.” 

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इन्हीं सवालों के बीच 4 साल तक हर्षित के मन में वैराग्य पर चिंतन चलता रहा. उनका जैन मुनियों से जुड़ाव बढ़ा और अब उन्होंने फैसला किया- सारी धन-दौलत छोड़कर संयम की राह पकड़ने की और दीक्षा ग्रहण करने की. दीक्षा ले चुके हर्षित कहते हैं कि 'अब मेरा जीवन सादगी और संयम का होगा. मुनि परंपरा के हर नियम को निभाऊंगा.'

बागपत जिले के दोघट और बामनौली के जैन मंदिरों में हजारों भक्तों की मौजूदगी में हर्षित का तिलक समारोह किया गया. बग्घी पर बैठे हर्षित की बैंड-बाजों के साथ कस्बे में शोभायात्रा निकली. मंदिर में मुनियों द्वारा तिलक-विरक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला. इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ हर्षित ने अपना सामान बांधकर मुनि जीवन की पहली यात्रा शुरू कर दी.

पिता का बयान 

वहीं, हर्षित के पिता सुरेश जैन कहते हैं- 'मैं खुश हूं, मेरे बेटे ने सत्य को करीब से देखा है, कोविड के समय जिस सच्चाई का एहसास उसे हुआ, उसने उसे धर्म के रास्ते पर ला दिया. अब वह मुनि बन गया है इससे बड़ा गर्व क्या होगा.'

बकौल हर्षित जैन- 'कोविड के बाद मेरा मन बदला और मैंने गुरु जी से दीक्षा ली. मेरा दिल्ली चांदनी चौक में कपड़े का काम था. भाई मैक्स में डॉक्टर है और पिता का इलेक्ट्रॉनिक का व्यापार है.'

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