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मर्दों की भारी कमी! इस देश में महिलाएं ले रही हैं ‘भाड़े के पति’, मिनटों में मिल जाता है साथी

यूरोप के लातविया में पुरुषों की आबादी तेजी से घट रही है और इसका असर अब रोज़मर्रा की जिंदगी पर साफ दिखाई देने लगा है. हालत यह है कि यहां की महिलाओं को घर के कामकाज संभालने के लिए ‘हज़बैंड फॉर एन ऑवर’ यानी भाड़े के पति रखने पड़ रहे हैं.

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इसका मायने ये है कि देश में बड़ी संख्या में महिलाएं अकेली रह रही हैं (Photo:Pexel)
इसका मायने ये है कि देश में बड़ी संख्या में महिलाएं अकेली रह रही हैं (Photo:Pexel)

दुनिया में ज्यादातर देशों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक होती है, लेकिन यूरोप का छोटा-सा देश लातविया बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करता है.यहां महिलाओं की आबादी पुरुषों से इतनी ज्यादा है कि कई महिलाएं घर का काम संभालने के लिए 'भाड़े के पति' तक रखने लगी हैं.ये पुरुष अस्थायी तौर पर बुलाए जाते हैं और घरेलू काम जैसे पाइपलाइन ठीक करना, पर्दे लगाना, बढ़ईगिरी या टीवी माउंट करना सब कुछ कर देते हैं.

द सन की रिपोर्ट कहती है कि लातविया में कई कंपनियां ऐसे पुरुष उपलब्ध कराती हैं, जो तकनीकी और घरेलू मरम्मत से जुड़े काम संभालते हैं. महिलाएं फोन या ऑनलाइन बुकिंग करके 'हस्बैंड फॉर एन ऑवर' को अपने घर बुला सकती हैं और विशेषज्ञ सिर्फ 60 मिनट में पहुंचकर पाइपलाइन, पेंटिंग, बढ़ईगिरी या अन्य काम निपटा देते हैं.

लातविया की एक फेस्टिवल वर्कर दनिया ने द सन से कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं… लेकिन थोड़ा बैलेंस बनाए रखने के लिए देश में कुछ और पुरुष होने चाहिए. बात करने, फ्लर्ट करने सब में मजा आता है.उनकी दोस्त जाने ने भी कहा-इसी कमी के चलते मेरी ज्यादातर सहेलियां विदेश जाकर बॉयफ्रेंड बना रही हैं.

कैसे सामने आया ये ट्रेंड?

लातविया में पुरुषों की कमी बढ़ने के साथ ही घर के कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अकेली महिलाओं पर आ गई. जैसे-जैसे विवाह दर गिरती गई और पुरुषों की संख्या कम होती गई, महिलाओं ने घरेलू जरूरतों के लिए पेशेवर मदद लेना शुरू किया. इसी से जन्म हुआ 'हस्बैंड फॉर एन ऑवर' जैसे सेवाओं का, जहाँ प्रशिक्षित पुरुष पैसे लेकर वही काम करते हैं जो आमतौर पर परिवार का पुरुष सदस्य करता है. जैसे मरम्मत, फिक्सिंग, इंस्टॉलेशन और रोज़मर्रा के छोटे-मोटे काम.

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कैसे बदली जनसंख्या की तस्वीर?

लातविया के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के  जारी ताज़ा आंकड़े चौंकाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार 18 साल से ऊपर की आबादी में सिर्फ 44.6 फीसदी लोग विवाहित हैं.15.6 फीसदी लोग तलाकशुदा हैं और 29.6 फीसदी लोग अविवाहित हैं.

इसका मायने ये है कि देश में बड़ी संख्या में महिलाएं अकेली रह रही हैं और घर के दैनिक कामों में सहायता के लिए अस्थायी पति रखना, यानी पेड पार्टनर, एक उभरता ट्रेंड बन गया है.

रिपोर्ट कहती है कि 100 आत्महत्याओं में 80 फीसदी से ज्यादा पुरुष होते हैं. यहां की महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन 11 साल अधिक जीती हैं. देश की औसत आयु भी करीब 44.1 वर्ष है.

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