डेनमार्क में एक महिला जो ठीक-ठाक कमाती है. वह एक रेस्टोरेंट में मैनेजर है, फिर भी वह अपने खाने-पीने की चीज सुपरमार्केट के कूड़ेदान से ढूंढकर निकालती है. उसका कहना है कि जब से उसने ऐसा करना शुरू किया है. वह सिर्फ एक बार बीमार पड़ी है और उसके खाने का खर्चा भी लगभग शून्य हो गया है.
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, सोफी जूल एंडरसन का कहना है कि 2025 में उन्हें अपने खाने-पीने पर शायद ही कोई पैसा खर्च करना पड़ा, क्योंकि उन्हें सब कुछ मुफ्त में मिल जाता है. सोफी के घर आने वाले मेहमानों के लिए उनके घर से चिप्स के पैकेट या कोई मिठाई लिए बिना जाना मुश्किल हो जाता है.
खुद भी खाती है दूसरों को भी खिलाती है
सोफी जब भी पार्टियों में जाती हैं, तो वह जितनी पीती हैं उससे कहीं ज़्यादा ड्रिंक्स लेकर जाती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उसका छोटा सा फ्लैट कल्पना से परे खाने-पीने की चीजों से भरा पड़ा है. सोफी बताती है कि 2021 से वह ज्यादातर सुपरमार्केट द्वारा फेंके गए खाने पर ही गुजारा कर रही है.
चार साल से खाने का खर्च हो गया है जीरो
2024 में उसने अपने सारे खर्च का हिसाब रखा. पूरे साल खाने पर लगभग 50 पाउंड खर्च हुए थे. इस साल उसने इतना कम खर्च किया कि उसने गिनती करने की भी जहमत नहीं उठाई. सोफी ने बताया कि मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ महीने पहले तक किसी भी चीज़ पर कोई पैसा खर्च किया है.
सोफी ने बताया कि यह सिलसिला लगभग चार साल पहले शुरू हुआ था जब वह ऑस्ट्रेलिया में रह रही थीं और जिज्ञासावश उन्होंने अपनी स्थानीय दुकान के बाहर कूड़ेदानों में खाना खोजना शुरू किया. सोफी ने बताया कि मेरी बहन ने मुझे डेनमार्क में सुपरमार्केट के बाहर कूड़ेदान में मिली कुछ अच्छी चीज़ों की एक तस्वीर भेजी और मैंने सोचा कि क्या मैं ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही कर सकती हूं.
मैंने एक दोस्त से मेरे साथ कूड़े के ढेर में देखने के लिए कहा और वह मान गई. हमें जो मिला वो अविश्वसनीय था. ऐसा लग रहा था जैसे हम खजाने की खोज कर रहे हों. मैं खुद, अपने दोस्तों और यहां तक कि अपने पूरे अपार्टमेंट ब्लॉक के लोगों को खाना खिला रही थी. लोग आते और जो कुछ भी मुझे मिलता, उसे उठा ले जाते.
एक्सपायर हो चुकी कई चीजों का करती हैं इस्तेमाल
शुरुआत में सोफी ताजे फल और सब्जियों तक ही सीमित रही, लेकिन जैसे-जैसे उसकी खोज बढ़ती गई, उसे वह सब कुछ मिल गया जो वह चाहती थी. भले ही उसकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी हो. सोफी ने बताया कि अब वह डेनमार्क आ गई हैं और यहां भी उनका काम जारी है. कल ही मुझे डेनमार्क के सुपरमार्केट के बाहर बीयर के पंद्रह कैन मिले. एक कैन टूट गया था इसलिए उन्होंने पूरा कैरेट फेंक दिया था.
वह अपनी ज़रूरत से ज़्यादा खाना घर ले आती है और अक्सर उसे बहुत सारा खाना बांटना पड़ता है. उसका फ्रिज, फ्रीजर और अलमारियां खाने से भरी रहती हैं और उसे अपना सारा सामान छिपाने के लिए तरह-तरह के तरीके सोचने पड़ते हैं, इसलिए वह अतिरिक्त सामान को दरवाजों पर और बिस्तर के नीचे लटका कर रखती है. पिछले साल डेनमार्क के एक त्योहार स्मूकफेस्ट में, सोफी ने सफाई करने का जिम्मा लिया और लगभग 200 कैन शराब लेकर लौटी.
कूड़ेदान में बीयर, ब्रेड और सब्जियां ज्यादा फेंकी जाती है
सोफी ने बताया कि मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद है और मैंने कई बार मुझे कूड़ेदानों में आइसक्रीम के डिब्बे मिले हैं. सोफी मजाक में कहती है कि मैं कूड़ेदान के देवताओं से कहती हूं कि मुझे काफी समय से अंडे नहीं मिले हैं और अचानक अंडे मिल जाते हैं. सोफी को बीयर, ब्रेड और सब्जी ज्यादा मिलते हैं.
सिर्फ एक बार कूड़ेदान के खाने से हुई है बीमार
सोफी ने बताया कि कूड़ेदान से खाना खाने से सिर्फ एक बार बीमार पड़ी है. अपनी शुरुआती दिनों यात्राओं में एक सेब खाने से उसका पेट थोड़ा खराब हो गया था. तब से वह बहुत सावधान रहती हैं और अगर उसे कुछ ठीक नहीं लगता तो वह उसे नहीं खाती. लेकिन वह ब्रेड, पनीर और सब्जियों पर लगी फफूंदी को काटकर बाकी खा लेती हैं. उन्होंने कहा कि मैं हर चीज को सूंघती और चखती हूं. अगर मुझे जरा भी शक होता है कि कोई चीज ठीक नहीं है, तो मैं उसे नहीं खाती.
यह थोड़ा घिनौना हो सकता है. मेरे पास कूड़ेदान में सफाई करने वाली जैकेट और दस्ताने हैं और मैं खड़े होने के लिए एक डिब्बे का इस्तेमाल करती हूं. कुछ कूड़ेदान बेहद गंदे होते हैं, जबकि कुछ बहुत साफ होते हैं, लेकिन मैं कूड़ेदान से केवल अच्छी गुणवत्ता वाली सब्जियां ही लेती हूं. मुझे जो कुछ भी मिलता है, उसका लगभग 80 प्रतिशत अभी भी खाने लायक होता है.
सोफी के मुताबिक, कूड़ेदान में अधिकांश खाने वैसे होते हैं जो पूरी तरह से खाने लायक होते हैं. सिर्फ टूटफूट या कुछ ज्यादा दिन हो जाने की वजह से उन्हें फेंक दिया जाता है.