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पीएम मोदी की यात्रा से पहले जानें इथियोपिया क्यों है खास, साल में 13 महीने और समय 7 साल पीछे!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तीन देशों के अहम विदेशी दौरे पर हैं, जिसमें जॉर्डन के बाद आज उनका इथियोपिया दौरा है. इथियोपिया जो अपने आप में कई हैरान करने वाले तथ्य समेटे हुए है. आखिर इस अफ्रीकी देश में ऐसा क्या है, जो इसे बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग बनाता है.

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अफ़्रीका का गौरव इथियोपिया (Photo: AP)
अफ़्रीका का गौरव इथियोपिया (Photo: AP)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय एक अहम विदेशी दौरे पर हैं. अगले चार दिनों में पीएम मोदी तीन देशों की यात्रा करेंगे, जिसमें जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान शामिल हैं. यह यात्रा सोमवार से शुरू हुई थी. जॉर्डन के बाद 16 और 17 दिसंबर को पीएम मोदी इथियोपिया में रहेंगे, फिर 17–18 दिसंबर को उनका ओमान दौरा तय है.

प्रधानमंत्री मोदी आज इथियोपिया जाएंगे, इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह देश इतना खास क्यों है और क्या वाकई में यहां का समय दुनिया से पीछे चलता है.

सबसे पुराना स्वतंत्र देश, जिस पर कभी कोई राज नहीं कर पाया

इथियोपिया सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि अफ्रीका के गौरवशाली इतिहास की कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 980 में स्थापित, इथियोपिया अफ्रीका का सबसे पुराना स्वतंत्र राष्ट्र है. सोचिए, जब दुनिया के बाकी देश गुलामी या उपनिवेशवाद की मार झेल रहे थे, यह देश शान से आजाद खड़ा था. यह अफ्रीका का एकमात्र देश है, जिस पर कभी किसी यूरोपीय शक्ति ने कब्जा नहीं किया. यह अपने आप में इथियोपियाई लोगों की अदम्य भावना को दर्शाता है.

आबादी के मामले में भी यह काफी बड़ा है. लगभग 13 करोड़ 21 लाख लोगों (2024) के साथ, इथियोपिया नाइजीरिया के बाद अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. भौगोलिक रूप से, यह उत्तर-पूर्वी अफ्रीका में स्थित है और इसे 'उत्पत्ति की मनमोहक भूमि' कहा जाता है. यहां चट्टानों को काटकर बनाए गए प्राचीन गिरजाघरों से लेकर ऊंचे पठार, रेगिस्तान और ज्वालामुखी तक, सब कुछ देखने को मिलता है.

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जहां समय चलता है 7 साल पीछे

इथियोपिया की सबसे अजीब और हैरान करने वाली बात है उसका कैलेंडर. इथियोपिया आज की दुनिया से लगभग सात साल पीछे चलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब रोमन चर्च ने 525 ईस्वी में अपने पुराने कैलेंडर में बदलाव किए, तो इथियोपिया ने अपना प्राचीन कैलेंडर नहीं बदला. इसलिए, वे आज भी ग्रेगोरियन कैलेंडर से पीछे चल रहे हैं.

एक दिलचस्प कहानी यह भी है कि इथियोपिया में साल भी 13 महीनों का होता है. आमतौर पर 12 महीने 30 दिनों के होते हैं और जो 13वां महीना होता है, वह सामान्य साल में 5 दिन का और लीप साल में 6 दिन का होता है. यही वजह है कि इथियोपिया ने 11 सितंबर, 2007 को अपना नया साल मनाया था. इतना ही नहीं, हम 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाते हैं, जबकि इथियोपियाई लोग 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं.

कॉफी की जन्मभूमि की कहानी

शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस कॉफी को हम पीकर अपनी थकान मिटाते हैं, उसकी खोज सबसे पहले इथियोपिया में हुई थी. यानी, इथियोपिया सिर्फ इतिहास में ही नहीं, बल्कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी खास है. इसकी खोज की कहानी भी बड़ी मजेदार है. 9वीं शताब्दी में, इथियोपिया में एक बकरी चराने वाला था. उसने देखा कि जब उसकी बकरियां एक खास झाड़ी के फल खाती हैं, तो वे बहुत ऊर्जावान हो जाती हैं. उत्सुक होकर उसने खुद उन फलों को चबाकर देखा. बाद में, वह इन फलों को एक मठ में ले गया. वहां एक भिक्षु ने शायद गुस्से में या मजाक में उन्हें आग में फेंक दिया. लेकिन आग से निकली मनमोहक सुगंध ने दूसरे भिक्षुओं को आकर्षित किया. कहा जाता है कि उन्होंने उन भुने हुए फलों को गर्म पानी में घोल दिया और बस, इस तरह दुनिया की पहली कप कॉफी बन गई.

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गर्मी, पहाड़ और चौंकाने वाले रिकॉर्ड

इथियोपिया की भौगोलिक बनावट भी इसे खास बनाती है. यहां रेगिस्तान हैं, ज्वालामुखी हैं, ऊंचे पठार हैं और चट्टानों को काटकर बनाए गए ऐतिहासिक चर्च भी. दानाकिल डिप्रेशन में स्थित डालोल दुनिया के सबसे गर्म आबादी वाले इलाकों में से एक है, जहां औसत तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रिकॉर्ड किया गया है. वहीं दूसरी ओर राजधानी अदीस अबाबा समुद्र तल से 2,335 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो अफ्रीका की सबसे ऊंची राजधानी मानी जाती है.

अदीस अबाबा और आधुनिक इथियोपिया

अदीस अबाबा सिर्फ राजधानी ही नहीं, बल्कि अफ्रीका की राजनीति का भी बड़ा केंद्र है. अफ्रीकी संघ का मुख्यालय यहीं स्थित है. अम्हारिक भाषा में अदीस अबाबा का मतलब होता है 'नया फूल'. आज का इथियोपिया परंपरा और आधुनिकता का अनोखा मेल है. यही वजह है कि भारत जैसे देश के लिए यह रणनीतिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक रूप से बेहद अहम बन जाता है.

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