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क्या फोन और लैंडलाइन नंबर के लिए देना होगा अलग से चार्ज? TRAI का आया जवाब

TRAI ने 6 जून 2024 को जारी किए अपने कंसल्टेंट पेपर पर जवाब रिलीज किया है. दरअसल, इस पेपर के रिलीज होने के बाद रिपोर्ट्स आईं कि फोन नंबर और लैंडलाइन नंबर के लिए लोगों को अलग से चार्ज देना पड़ सकता है. हालांकि, अब ट्राई ने इन रिपोर्ट्स पर अपना जवाब जारी किया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

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क्या फोन नंबर के लिए अलग से लगेगा चार्ज?
क्या फोन नंबर के लिए अलग से लगेगा चार्ज?

TRAI (टेलीकॉम रेगुलरेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने नए फोन नंबरिंग सिस्टम और टेलीकॉम कनेक्शन पर चार्ज लगाने वाली चर्चा पर अपना बयान जारी किया है. अथॉरिटी का कहना है कि 'TRAI ने टेलीकॉम कनेक्शन पर चार्ज लगाने का सुझाव दिया है', इस तरह के दावे गलत हैं. 

ट्राई के बताया कि उन्होंने इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. अथॉरिटी ने बताया कि DoT ने उन्हें सितंबर 2022 में संपर्क किया था, जिसमें उनसे नेशनल नंबरिंग सिस्टम प्लान को रिवाइज करने पर सुझाव मांगा गया था. देश में नंबरिंग रिसोर्स के मैनेजमेंट और सही इस्तेमाल के लिए सुझाव मांगा गाय था, जिसके जवाब में उन्होंने कंसल्टेंट पेपर रिलीज किया था.

क्या है TRAI कंसल्टेंट पेपर का मामला? 

दरअसल, 6 जून 2024 को जारी हुए ट्राई के कंसल्टेंट पेपर में कई बातें कही गई थी. इसमें कुछ पॉइंट्स में TRAI ने कुछ देशों में लगने वाले टेलीकॉम आइडेंटिफायर चार्ज के बारे में बताया है. ट्राई ने बताया है कि फोन नंबर एक मूल्यवान पब्लिक रिसोर्स है, जो सीमित है. 

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इसके लिए कुछ कदम उठाने के बात कही गई थी. ट्राई ने बताया था कि कुछ देशों में नंबरिंग रिसोर्स चार्जेबल हैं. यानी यहां फोन नंबर रखने पर कुछ चार्ज लगाया जाता है, जो रिचार्ज से अलग होता है. ये चार्ज टेलीकॉम ऑपरेटर या फिर यूजर्स से वसूला जाता है. इसके आधार पर कुछ देशों का नाम भी दिया गया था. 

कई देशों में लगता है चार्ज

ट्राई ने पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के आधार पर बताया कि फिनलैंड, लिथुआनिया, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, सिंगापुर, पोलैंड, स्विट्जरलैंड, नाइजीरिया, ग्रीस, नीदरलैंड, हॉन्गकॉन्ग, डेनमार्क और दूसरे देशों में इस तरह की व्यवस्था है. 

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अथॉरिटी ने 6 जून को रिलीज किए गए कंसल्टिंग पेपर में इन सभी पर स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगा था. ट्राई ने बताया था कि मार्च 2024 में भारत में 1.19 अरब से ज्यादा एक्टिव कनेक्शन हैं. भारत में टेलीकॉम डेंसिटी 85.69 परसेंट पहुंच गई है. यानी भारत में हर 100 में 85 लोगों के पास टेलीफोन कनेक्शन है. ऐसे में इनके इस्तेमाल को व्यवस्थित करने की जरूरत है.

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