23 अगस्त, बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट... ऐसा समय है, जिस पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. भारत का मून मिशन चंद्रयान -3 (Chandrayaan-3) चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. इसे कामयाब बनाने के लिए पूरे देश में दुआओं का दौर जारी है. चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा. इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, अब तक सब तय हिसाब से हुआ है. किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आई है. हर चीज की बार बार जांच की जा रही है.
अगर सबकुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो बुधवार को जैसे ही शाम के 6 बजकर 4 मिनट बजेंगे. भारत का चंद्रयान चांद की सतह पर लैंड करना शुरू करेगा, इसी दौरान भारत के मून मिशन को अंतिम 17 मिनट में प्रवेश करना होगा. ये वो वक्त होगा जब चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग होगी. चंद्रयान इस दौरान इसरो से कोई भी कमांड नहीं दी जा सकेगी. इस दौरान लैंडर को सही समय, सही ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करते हुए लैंडिंग करनी होगी.
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लैंडर विक्रम चांद की सतह पर अपने कदम रखेगा. इसके बाद वह अपना काम शुरू करेगा. विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और ISRO की कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा.
कैसे स्लो होती चली जाएगी स्पीड, जानिए मिनट टू मिनट प्रोसेस?
- चंद्रयान-3 के लिए आखिरी 17 मिनट काफी अहम होंगे. विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा. इस समय इसकी स्पीड 1.7 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगेगा. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक.
- 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर होगा.
- 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी. अगला लेवल 800 मीटर होगा.
- 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजेंगे.
- 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच.
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच.
- 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी.
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी.
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न हो गलती, इसलिए इन बातों का रखा गया ध्यान
विक्रम लैंडर 25 km x 134 km की ऑर्बिट में घूम रहा है. इसी 25 किलोमीटर की ऊंचाई से इसे नीचे की तरफ जाना है. पिछली बार चंद्रयान-2 अपनी ज्यादा गति, सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी और इंजन फेल्योर की वजह से गिर गया था. इस बार वह गलती न हो इसलिए चंद्रयान-3 में कई तरह के सेंसर्स और कैमरे लगाए गए हैं.
- LHDAC कैमरा खासतौर से इसी काम के लिए बनाया गया है कि कैसे विक्रम लैंडर को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारा जाए. इसके साथ कुछ और पेलोड्स लैंडिंग के समय मदद करेंगे, वो हैं- लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) मिलकर काम करेंगे. ताकि लैंडर को सुरक्षित सतह पर उतारा जा सके.
- विक्रम लैंडर में इस बार दो बड़े बदलाव किए गए हैं. पहला तो ये कि इसमें बचाव मोड (Safety Mode) सिस्टम है. जो इसे किसी भी तरह के हादसे से बचाएगा. इसके लिए विक्रम में दो ऑनबोर्ड कंप्यूटर लगाए गए हैं, जो हर तरह के खतरे की जानकारी देंगे. इन्हें यह जानकारी विक्रम पर लगे कैमरे और सेंसर्स देंगे.
लैंडिंग के बाद क्या क्या होगा?
चांद पर बुधवार शाम 6.04 बजे लैंडर विक्रम लैंड करेगा. आज लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा. लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा. यह 500 मीटर तक के इलाके में चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में इसरो को बताएगा. इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे.
- इसके बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स काम करना शुरू होंगे. ये हैं रंभा (RAMBHA). यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. चास्टे (ChaSTE), यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. इल्सा (ILSA), यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA), यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.