
लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. एनडीए ने 292 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा जरूर पार कर लिया है. हालांकि, बीजेपी अपने दम पर बहुमत से दूर रह गई. उसे सिर्फ 240 सीटें मिली हैं. सरकार बनाने के लिए उसे सहयोगी दलों की जरूरत होगी, जिसमें जेडीयू भी शामिल है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को बिहार में कुल 12 सीटें मिली हैं. वह किंगमेकर बनकर उभरे हैं. एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन को सरकार बनाने के लिए टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के अलावा नीतीश कुमार की भी जरूरत है. हालांकि, नीतीश कुमार का पाला बदलने का पुराना इतिहास रहा है. ऐसे में उनके इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर भी तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. इसी को लेकर आजतक ने पंडित शैलेंद्र पांडे से बातचीत की.
नीतीश क्यों बार-बार बदलते हैं पाला
पंडित शैंलेंद्र पांडे के मुताबिक, नीतीश कुमार की कुंडली में मिथुन लग्न की कुंडली है और वृश्चिक राशि है. जिसके कुंडली में द्विस्वभाव का लग्न होता है या द्विस्वभाव की राशि होती है तो आप ये अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि वह आगे क्या करेगा. द्विस्वभाव का लग्न या द्विस्वभाव की राशि हमेशा एक से ज्यादा ऑप्शन पैदा कर देती है. नीतीश कुमार जी की राजनीति में जो बार-बार परिवर्तन होते रहते हैं, उसके लिए द्विस्वभाव का लग्न जिम्मेदार है. यही वजह है कि नीतीश कुमार पाला बदलते रहते हैं.
जानें नीतीश कुमार ने कब-कब बदला पाला

अभी क्या कहते हैं नीतीश कुमार के सितारें
अभी की स्थिति देखें तो उनकी राहु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है. शुक्र मिथुन लग्न का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है और उनकी कुंडली में उच्च राशि में बैठा है दशम भाव में अकेला शुक्र उनको किंगमेकर बना रहा है. शुक्रीय स्थितियां दिखा रही हैं कि वो बहुत सारी बार्गेनिंग, बहुत सारी शर्तें और लाइजनिंग के साथ सरकार को समर्थन देंगे. अभी के लिए वो NDA से दूर जाएंगे, इसकी संभावना कम लगती है. ऐसा लगता है कि अभी उनका समर्थन NDA के लिए जारी रहेगा.
नीतीश कुमार की कुंडली में मंगल दशम भाव में बैठा है
पंडित शैलेंद्र पांडे आगे कहते हैं कि नीतीश कुमार की जो कुंडली है, वो लग्न और चंद्र कुंडली दोनों से बहुत ताकतवर है. दशम भाव में उनके शुक्र मंगल बैठे हैं. मंगल जो है वो इस कुंडली में प्राप्ति का ग्रह है जो दशम भाव में बैठ गया है. यानी हर स्थिति में आपको जीवन में प्राप्ति होती रहेगी.
कुंडली में प्रबल राजयोग है
नवम भाव में उनके बुध और बृहस्पति का कॉम्बिनेशन है, वो भी एक तरीके का बड़ा प्रबल राजयोग है. दशम भाव में शुक्र मंगल की जो युति है, उनके खास तौर से प्राप्ति वाला ग्रह जो उनके दशम भाव में बैठ गया है, वो बार बार उनको प्राप्ति की तरफ ले जाता है या हर चुनाव से उनको कुछ ना कुछ हासिल हो हो, इसकी संभावना बना देता है.