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₹1.60 करोड़ का फ्रॉड... लाओस से चल रहा था नेटवर्क, सिंगल या तलाकशुदा महिला-पुरुष होते थे टारगेट

Indore Digital Arrest Scam: इंदौर पुलिस जांच में सामने आया है कि यह ठगी का नेटवर्क तीन हिस्सों में काम करता था. इन आरोपियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती थी कि वे 45 से 60 साल के सिंगल, तलाकशुदा या अकेले रहने वाले पुरुषों-महिलाओं को सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स पर टारगेट करें.

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 ऑनलाइन ठगी में  अबतक 19 आरोपी गिरफ्तार.(Photo:Screengrab)
ऑनलाइन ठगी में अबतक 19 आरोपी गिरफ्तार.(Photo:Screengrab)

MP News: इंदौर क्राइम ब्रांच ने 1 करोड़ 60 लाख रुपए के डिजिटल अरेस्ट मामले में बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने दो और आरोपियों को पंजाब और गुजरात से गिरफ्तार किया है. इस मामले में अब तक कुल 19 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। यह ठगी नवंबर 2024 में एक महिला से की गई थी।

दरअसल, जांच में सामने आया था कि यह नेटवर्क तीन हिस्सों में काम करता है. पहली वह टीम जो पीड़ित से फोन पर संपर्क कर धमकाती है, दूसरी टीम बैंक खातों की व्यवस्था करती है और तीसरी टीम ऐसे लोगों के अकाउंट उपलब्ध कराती है, जिन्हें पैसे का लालच देकर विदेश भेजा जाता है. 

क्राइम ब्रांच डीसीपी राजेश त्रिपाठी  के अनुसार, यह पूरा नेटवर्क लाओस देश से ऑपरेट हो रहा था. नवगठित कड़ी में पकड़े गए आरोपी सौरभ सिंह (वापी, गुजरात) और पतरस कुमार (फिरोजपुर, पंजाब) लाओस में रहकर इस गिरोह के लिए काम कर रहे थे. 

आरोपियों ने कुबूल किया कि उन्हें वहीं एक चीनी बैंक के माध्यम से कई भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा करने और गिरोह तक पहुंचाने का काम दिया जाता था. दोनों आरोपियों को अकाउंट उपलब्ध कराने पर कमीशन मिलता था. 

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उन्होंने लगभग 380 बैंक अकाउंट गिरोह को उपलब्ध कराए, जिनमें से 120 खातों का सक्रिय रूप से उपयोग हुआ. ट्रे​निंग के दौरान आरोपियों को 45 से 60 वर्ष के सिंगल, परित्यक्ता या अकेले रहने वाले पुरुषों–महिलाओं को सोशल मीडिया व डेटिंग एप्स पर टारगेट करने का टास्क दिया गया था. 

फेसबुक, वॉट्सएप और टेलीग्राम के जरिए पहले दोस्ती बढ़ाई जाती थी, फिर महिला सदस्यों द्वारा झांसा दिया जाता था. इसके बाद डिजिटल अरेस्ट गैंग पीड़ित को मनी लांड्रिंग व कानूनी कार्रवाई का भय दिखाकर मोटी रकम ऐंठ लेता था. 

पुलिस अब उन विदेशी संचालकों और चाइनीज सदस्यों की जानकारी जुटा रही है, जिन्होंने आरोपियों को लाओस ले जाकर फर्जी नामों से रखा था. टीआई क्राइम जितेंद्र सिंह की तकनीकी भूमिका इस गिरफ्तारी में अहम रही.

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