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MP: दतिया में बीजेपी और RSS से जुड़े लोगों को बनाया BLO सहायक, विवाद के बाद आदेश निरस्त

एमपी के दतिया में SIR प्रक्रिया से जुड़े एक आदेश में बीएलओ सहयोगियों की सूची में भाजपा और आरएसएस से जुड़े नाम शामिल पाए गए, जिससे विवाद खड़ा हो गया. कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया से खिलवाड़ बताते हुए शिकायत दर्ज की और तीखा हमला बोला. मामला बढ़ने पर प्रशासन ने तुरंत आदेश निरस्त कर नया आदेश जारी करने की बात कही. कलेक्टर ने स्वीकार किया कि सूची में राजनीतिक पदों से जुड़े लोग शामिल थे.

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देश भर में एसआईआर (SIR) को लेकर हो रही सियासत के बीच एमपी क दतिया में SIR प्रक्रिया से जुड़ा एक ऐसा आदेश जारी हो गया जिसने विवाद खड़ा कर दिया. आदेश में बीएलओ के सहयोगियों की सूची में कुछ नाम बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों के थे. विवाद बढ़ता देख आदेश को निरस्त कर दिया गया है.

दरअसल, बीएलओ सहायक की नियुक्ति के लिए जिला प्रशासन ने सभी विभागों से कर्मचारियों की सूची मांगी थी. इसपर सभी विभागों ने कर्मचारियों की सूची जिला प्रशासन को भेजी, लेकिन जन अभियान परिषद द्वारा भेजी गई सूची में अशासकीय सदस्यों के साथ भाजपा और आरएसएस से जुड़े कुछ नाम शामिल पाए गए. कांग्रेस ने इस पर तीखी आपत्ति दर्ज करते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खुला मज़ाक बताया.

जिला कांग्रेस कमेटी दतिया के अध्यक्ष अशोक दांगी ने तत्काल निर्वाचन आयोग, कलेक्टर और एसडीएम को शिकायत भेजी. दांगी ने आरोप लगाया कि भाजपा संगठन से जुड़े लोगों को बीएलओ के सहयोगी बनाकर मतदाता सूची प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का तीखा हमला
मामले ने राजनीतिक रंग तब लिया जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे लेकर भाजपा सरकार और प्रशासन दोनों को घेरते हुए X पर पोस्ट किया और लिखा 'चुनाव आयोग के बाद अब प्रशासन भी सत्ता और संगठन की खुली कठपुतली की तरह नाचता दिखाई दे रहा है. दतिया कलेक्टर ने SIR के नाम पर बीएलओ के सहयोगी बनाकर जो आधिकारिक आदेश जारी किया है उसमें पूर्व मंडल अध्यक्ष सहित कई भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति सत्ता के दबाव की सबसे बेहूदी मिसाल है! भाजपा सरकार SIR को “संवैधानिक प्रक्रिया” बताती है, लेकिन असलियत यह है कि हर संवैधानिक व्यवस्था को भी पार्टी का एजेंडा लागू करने का साधन बना दिया गया है! SIR को भाजपा के रंग में रंगने की यह कोशिश लोकतंत्र का अपमान है! भाजपा की इस चाल को कांग्रेस कामयाब नहीं होने देगी! हम प्रत्येक मतदाता के अधिकार को संरक्षण देने के लिए सजग है!’

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मामला संज्ञान में आते ही आदेश निरस्त
सूची वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम ने जारी किया गया ड्यूटी आदेश तुरंत निरस्त कर दिया. दतिया कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने बताया कि सहायक के लिए जो सूची बनाई गयी थी उनमें से कुछ लोग राजनितिक पदों पर थे. अभी भले ही वो पद पर न हो लेकिन इसके बावजूद आदेश को निरस्त कर नया आदेश निकाला गया है. आदेश का क्रियान्वयन शुरू होने से पहले ही उसे रद्द कर दिया गया है.

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