अमेरिका के टेक बिजनेसमैन और बायोहैकर ब्रायन जॉनसन ने एक बार फिर अपने बयान से दुनिया का ध्यान खींचा है. ब्रायन जॉनसन उम्र घटाने की तकनीकों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. टेक मिलियनेयर ब्रायन जॉनसन हर साल अपनी हेल्थ, एंटी-एजिंग लाइफस्टाइल पर 2 मिलियन डॉलर यानी लगभग 17 करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च करते हैं.
हाल ही में उन्होंने ट्वीट किया है कि वो 2039 तक अमरता के बेहद करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. उनका दावा है कि उनका गोल उस स्थिति को हासिल करना है, जहां समय तो आगे बढ़े लेकिन उनकी बायोलॉजिकल उम्र वहीं की वहीं बनी रहे. हालांकि जवान बने रहने की कोशिश और तरीके इंसान हमेशा से तलाशता आया है लेकिन अब पहली बार साइंस और टेक्नोलॉजी इस सपने को हकीकत में बदलने की संभावना पैदा कर रहा है.
कोई चमत्कार नहीं है अमर होना
ब्रायन जॉनसन का मानना है कि अमर होना असंभव या फिर कोई चमत्कार नहीं है, क्योंकि प्रकृति इसे पहले ही कर चुकी है. ये प्रकाश की रफ्तार से ज्यादा तेज ट्रैवल करने जैसी कोई फिजिक्स की समस्या नहीं है बल्कि इसे बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग प्रॉब्लम है और विकास के क्रम में इसे पहले ही कई बार हल किया जा चुका है.
'उदाहरण के लिए फ्रेशवॉटर हाइड्रा जैसे जीव कभी बूढ़े नहीं होते, इम्मॉर्टल जेलीफिश अपनी उम्र को फिर से शुरू कर लेती है और लॉब्स्टर की कोशिकाएं उम्र के साथ कमजोर नहीं पड़तीं. अगर प्रकृति ऐसा कर सकती है तो इंसान भी सही तकनीक और रिसर्च के जरिए इसे संभव बना सकता है.'
6 साल से अपने ऊपर प्रयोग कर रहे हैं
ब्रायन जॉनसन पिछले 6 सालों से अपने ऊपर साइंटिफिक प्रयोग करते आ रहे हैं. उन्होंने अपने शरीर के हर अंग की बायोलॉजिकल उम्र मापी है और उन अंगों की उम्र बढ़ने की स्पीड को धीमा करने वाले सभी प्रोटोकॉल अपनाए और फिर से उनकी जांच की जिससे उन्हें अच्छे रिजल्ट मिले.
ब्रायन का दावा है कि 48 साल की उम्र में भी उनका शरीर कई मामलों में 18 साल के व्यक्ति जैसा काम कर रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ अंगों पर उम्र का असर अब भी बना हुआ है.
अंगों के क्लोन तैयार करवा रहे
ब्रायन जॉनसन का कहना है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस दिशा में सबसे अहम रोल निभाएगा. AI की मदद से रिसर्च और थैरेपी डेवलपमेंट की रफ्तार तेज हो रही है जिसके साथ ही वे अपने अंगों के क्लोन लैब में तैयार करवा रहे हैं ताकि नई दवाओं और इलाज को पहले वहीं टेस्ट किया जा सके और किसी बड़े खतरे से बचा जा सके.
ब्रायन का मानना है कि यह कोशिश सिर्फ अमर होने की नहीं है, बल्कि इंसान की सोच बदलने का एक तरीका भी है. उनका कहना है कि आज की मानव जाति खुद को नुकसान पहुंचाने वाली आदतों में उलझी हुई है और 2029 का यह गोल हमें जिंदगी को चुनने, मौत को चुनौती देने और भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा दिखाता है.