उत्तराखंड के देहरादून या अन्य बड़े शहरों के आसपास के क्षेत्रों में आप जाएंगे तो वहां आपको अच्छी और सुगम सड़कें देखने को मिल जाएंगी. लेकिन आज भी उत्तराखंड के कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं, जहां लोग सालों से सड़क का इंतजार कर रहे हैं.
ग्रामीणों के अनुसार, बीमारी में इलाज, बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए उन्हें कई किलोमीटर पहाड़ पार करना पड़ता है. सड़कें केवल सुविधा का सवाल नहीं हैं, बल्कि इनकी कमी ग्रामीणों की जिंदगी और संघर्ष को और कठिन बना रही हैं. हाल ही में, झकझोर देने वाली घटना में एक गर्भवती महिला की सड़क न होने के कारण मौत हो गई.
मोरी ब्लॉक की अधूरी सड़क परियोजना
उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक की लिवाड़ी–फिताड़ी सड़क परियोजना वर्ष 2012 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत स्वीकृत हुई थी. यह सड़क कासला, रेक्चा, राला, फिताड़ी और लिवाड़ी गांवों के लिए जीवनरेखा साबित हो सकती थी. लेकिन 13 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है.

एक ही ठेकेदार ने कई साल लटकाया काम
ग्रामीणों के अनुसार, सड़क का निर्माण 2013 में शुरू हुआ. पहले ठेकेदार ने अधूरा काम छोड़ दिया, फिर विभाग ने दूसरी कंपनी को जिम्मेदारी दी, लेकिन नई कंपनी ने भी न तो निविदा की शर्तों का पालन किया और न समय सीमा पूरी की. लिवाड़ी तक वाहन आज भी नहीं पहुंच पा रहे हैं, जबकि लकड़ी के पुल और अस्थायी पगडंडियाँ ही ग्रामीणों का सहारा हैं.
ग्रामीणों ने अनियमितताओं की कई बार शिकायत की, लेकिन हर बार आश्वासन देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. निराशा इतनी बढ़ी कि 2024 के लोकसभा चुनावों में लिवाड़ी के निवासी मतदान से दूर रहे.
ग्राम प्रधान ने सीएम को लिखा पत्र
लिवाड़ी की ग्राम पंचायत प्रधान मीना रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा और अधूरी सड़क परियोजना को शीघ्र पूरा कराने की मांग की. उन्होंने बताया कि 2013 में शुरू हुआ सड़क का 800 मीटर चट्टान कटाव कार्य अब भी अधूरा है. ठेकेदार अवनीश इंटरप्राइजेज प्रा. लि. पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्य शुरू नहीं किया गया तो ग्रामीण धरना देंगे.
क्या बोले मंत्री?
आजतक ने कैबिनेट और विभाग्य मंत्री गणेश जोशी से इस मामले में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम आज गढ़वाल में मौके का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे हैं और उत्तराखंड चीफ को हमने निर्देश दिए हैं कि इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर टेंडर कैंसिल किया जाए. अब दोबारा से टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, उसके बाद सड़क बनाने का काम करेंगे. हालांकि मंत्री जी को भी नहीं पता सड़क बनने में कितना समय और लगेगा.