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क्लाइमेट चेंज का असर? अक्टूबर में ही जमी चमोली की देवताल झील, माइनस में पहुंचा तापमान

चमोली के माणा गांव के पास 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवताल झील अक्टूबर में ही पूरी तरह जम गई. असामान्य बर्फबारी और तापमान माइनस में पहुंचने से झील का पारदर्शी साफ पानी बर्फ बन गया. पर्यावरणविद् से जलवायु परिवर्तन का संकेत मान रहे हैं.

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 उत्तराखंड के चमोली में माणा गांव के पास 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवताल झील अक्टूबर में ही जम गई. (Photo: ITG/@KamalNayan)
उत्तराखंड के चमोली में माणा गांव के पास 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवताल झील अक्टूबर में ही जम गई. (Photo: ITG/@KamalNayan)

उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर माणा गांव के पास स्थित  देवताल झील इन दिनों पूरी तरह से जम गई है. इस झील की समुद्र तल से ऊंचाई 18,000 फीट है. अक्टूबर महीने में ही हुई असामान्य बर्फबारी और तापमान में जबरदस्त गिरावट के कारण झील का साफ पानी अब चमकदार बर्फ में तब्दील हो चुका है. यह दृश्य न केवल प्रकृति की करामात को दर्शाता है, बल्कि हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के संकेत भी देता है.

इस बार पहाड़ों पर ठंड का प्रकोप इतना तीव्र है कि सामान्य से कहीं अधिक बर्फबारी ने पूरे इलाके को सफेद चादर ओढ़ा दी है. देवताल झील, जो माणा गांव से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है. मान्यता है कि यहां महाभारत काल में पांडवों ने देवताओं से आशीर्वाद लिया था, इसलिए इसे 'देवताल' नाम दिया गया. झील का पानी इतना शुद्ध और पारदर्शी होता है कि गर्मियों में इसमें आकाश और आसपास की चोटियों का प्रतिबिंब नजर आता है. 

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चमोली में तापमान -10 डिग्री सेल्सियस पहुंचा

लेकिन अब अक्टूबर के मध्य में ही झील का जमना असामान्य घटना है. मौसम विभाग के अनुसार, इस क्षेत्र में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है. भारी बर्फबारी और निरंतर ठंड के कारण झील की सतह पर मोटी बर्फ की परत जम गई है. यह बर्फ इतनी मजबूत है कि पर्यटक इसके ऊपर चलकर फोटो खिंचवा रहे हैं. देवताल झील को पर्यटकों के लिए सितंबर 2021 में खोला गया था. भारत-चीन युद्ध के बाद से यहां पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं थी.

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इनर लाइन परमिट प्राप्त करने वाले स्थानीय लोग और ट्रेकर्स अब इस मनोरम दृश्य का आनंद लेने पहुंच रहे है. देवताल तक पहुंचने का रास्ता रोमांचकारी है– चारों तरफ बर्फ से ढकी चोटियां, हवा में ठिठुरन और शांति का आलम. पर्यटक यहां पहुंचकर न केवल झील की सुंदरता देखते हैं, बल्कि आसपास के ट्रेकिंग रूट्स पर भी घूमते हैं. हालांकि, प्रशासन ने चेतावनी दी है कि ठंड और फिसलन भरे रास्तों के कारण सावधानी बरतें. देवताल झील का अक्टूबर में ही जम जाना हिमालयी पर्यावरण की नाजुकता को उजागर करती है. 

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ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण मौसमी उतार-चढ़ाव

वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण क्षेत्रीय स्तर पर मौसमी उतार-चढ़ाव बढ़ रहे हैं, जिससे अचानक ठंड और बर्फबारी हो रही है. देवताल जैसी ऊंचाई वाली झीलें जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील संकेतक हैं. पर्यटन की दृष्टि से यह जगह बद्रीनाथ धाम के निकट होने से और आकर्षक हो जाती है. सर्दियों में यहां पहुंचना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन जो साहसी पर्यटक यहां पहुंचते हैं, वे जीवनभर की यादें लेकर लौटते हैं. देवताल की यह जमी हुई सुंदरता न केवल फोटोग्राफर्स को लुभा रही है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों को भी आमंत्रित कर रही है. चमोली जिला प्रशासन ने देवताल झील आने वाले पर्यटकों से अपील की है कि वे गर्म कपड़े, आवश्यक दवाएं और इनर लाइन परमिट साथ रखें.

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