अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति जमीरद्दीन शाह का कहना है कि योग एएमयू संस्कृति में गहराई से समाया हुआ है और बहुत से पूर्व कुलपति न सिर्फ स्वयं इसका अभ्यास करते रहे हैं, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में इसे बढ़ावा भी देते रहे हैं.
शाह ने गुरुवार को कहा, 'मैं स्वयं 40 साल से योगाभ्यास करता रहा हूं और इससे मुझे बहुत फायदा हुआ है. योग एएमयू संस्कृति में गहराई से समाया हुआ है और बहुत से पूर्व कुलपति न सिर्फ स्वयं इसका अभ्यास करते रहे हैं, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में इसे बढ़ावा भी देते रहे हैं.'
उन्होंने यह भी कहा कि योगाभ्यास के लिए किसी पर भी दबाव नहीं डाला जाना चाहिए. शाह ने कहा, 'यदि किसी वर्ग पर इसे जबरन थोपने की कोशिश होती है तो असर उल्टा पड़ेगा. इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.'
शाह ने कहा, 'योग को कोई धार्मिक रंग देने के बजाय मानसिक और शारीरिक व्यायाम की प्राचीन कला के रूप में स्वीकार करना चाहिए. योग एक राष्ट्रीय खजाना है और हमें इस पर गर्व है.'
उन्होंने कहा कि पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग को एक कार्यशाला के आयोजन के लिए कहा गया है. साथ ही यह भी कहा कि रमजान का महीना होने के कारण बहरहाल उस दिन कोई सामूहिक योग कार्यक्रम संभव नहीं है.
शाह ने यह भी कहा कि उन्हें यकीन है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्व में शांति को बढ़ावा देगा और दिलों को जोड़ने का काम करेगा. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में सात नवंबर को योग और अध्यात्म विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य डॉ. कर्ण सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.