वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समलैंगिक अधिकारों का समर्थन किया है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी उनके समर्थन में आ गए हैं. लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मसले को लेकर बीजेपी पर हल्ला बोल दिया है. तिवारी ने ट्वीट कर पूछा है कि सरकार समलैंगिक संबंधों को तो अपराधमुक्त कर सकती है, लेकिन समलैंगिक शादियों के बारे में सरकार क्या सोचती है? यह पहली बार है जब बीजेपी की ओर से किसी मंत्री ने समलैंगिक अधिकारों के समर्थन में खुलकर बात की है.
BJP Govt can de-criminalize Gay Sex by repealing Section 377 of IPC Its Gay Sex that's criminal not relationships What about Gay Marriages?
— Manish Tewari (@ManishTewari) November 29, 2015
चिदंबरम के समर्थन में तिवारी
हालांकि मनीष तिवारी ने चिदंबरम की बात का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि चिदंबरम सही कह रहे हैं. हमें किताबों और पत्रिकाओं, सोशल मीडिया और फिल्मों पर रोक लगाने संस्कृति से बाहर निकलने की जरूरत है. तिवारी ने कहा कि 'वित्त मंत्री यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जब उनकी सरकार पर असहिष्णुता को लेकर सवाल उठे तो वह बता सकें कि सरकार कितनी सहिष्णु है.
Finance Minister shooting breeze primarily to make it look as if Govt is tolerant when they are being accused of intolerance: Manish Tewari
— ANI (@ANI_news) November 29, 2015
सरकार गंभीर है तो धारा 377 ही खत्म करे
तिवारी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि समलैंगिक अधिकारों को लेकर सरकार गंभीर है तो सबसे पहले उसे आईपीसी की धारा 377 को ही हटाने की जरूरत है.' तिवारी ने अपनी सरकार के दौरान लिए फैसलों की भी बात की. उन्होंने बताया कि 'साडा हक' को लेकर उनके ऊपर भी बहुत दबाव था, लेकिन हमने उस दबाव के आगे घुटने नहीं टेकने का फैसला लिया.
जेटली ने कब, कहां, क्या कहा
जेटली ने शनिवार रात एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को धारा 377 पर फिर से समीक्षा करने की जरूरत है. गे सेक्स को अपराधमुक्त किया जाना चाहिए. जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को समलैंगिकता पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को नहीं बदलना चाहिए था. उसे समलैंगिक अधिकारों पर अपने 2013 के फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 50 साल पहले प्रासंगिक हो सकता था. दुनियाभर में लोगों को जब सेक्शुअल ओरिएंटेशन की आजादी दी जा रही है, तब इसके आधार पर किसी को जेल भेजना बहुत पुराना खयाल लगता है. जेटली टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल में बोल रहे थे. चिदंबरम भी वहीं मौजूद थे.
चिदंबरम ने क्या कहा
चिदंबरम ने कहा कि समलैंगिक अधिकारों के मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सराहनीय था. सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को पलटना नहीं चाहिए था. इसे जारी रखना चाहिए था. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 में ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक संबंधों को सही ठहराया था. लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया था. गे राइट्स एक्टिविस्ट चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले की दोबारा समीक्षा करे, लेकिन कोर्ट ने उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी थी.