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RSS से जुड़े 'संकल्प' ने शुरू की सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव की मुहिम

संकल्प ने सरकार से आग्रह किया कि ‘सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया सरकार को 12वीं कक्षा के बाद ही शुरू कर देनी चाहिए. छात्रों का एप्टीट्यूट टेस्ट यानी प्रारंभिक परीक्षा 12वीं परीक्षा के बाद फौरन होनी चाहिए.

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आयोजन के दौरान उठाया मुद्दा
आयोजन के दौरान उठाया मुद्दा

आरएसएस से जुड़े संकल्प संस्थान ने भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के ढांचे में बदलाव की सिफारिश की है. पिछले महीने 17 जुलाई को संकल्प की ओर से आयोजित सिविल सेवा प्रतिभागी सम्मान कार्यक्रम में भी केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल की मौजूदगी में संकल्प की ओर से बांटे गए सम्यक दृष्टि के विशेषांक में खास तौर पर इस बात का जिक्र किया गया कि सिविल सेवा की मौजूदा परीक्षा पद्धति में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है.

12वीं के बाद ही शुरू हो परीक्षा
संकल्प के उपाध्यक्ष, आरएसएस विचारक संतोष तनेजा ने संकल्प के मुखपत्र सम्यक दृष्टि में लिखे संपादकीय को कार्यक्रम में भी रेखांकित किया. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ‘सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया सरकार को 12वीं कक्षा के बाद ही शुरू कर देनी चाहिए. छात्रों का एप्टीट्यूट टेस्ट यानी प्रारंभिक परीक्षा 12वीं परीक्षा के बाद फौरन होनी चाहिए. इसके बाद सरकार की देख-रेख में छात्रों को सिविल सेवा के लिए तैयारी कराई जानी चाहिए. पांच सालों तक सिविल सेवा के लिए आवश्यक गुणों का विकास विद्यार्थी में विकसित कर उन्हें देश के लिए आवश्यक प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्त करने पर विचार होना चाहिए.’

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सिविल सेवा में प्रोफेशनल्स के आने पर चिंतित
संकल्प ने सिविल सेवा परीक्षा में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स, इंजीनियर्स समेत प्रोफेशनल्स के आने पर चिंता जताई है. संतोष तनेजा का कहना है कि ‘प्रोफेशनल्स की शिक्षा में समाज की ओर से दिए गए टैक्स का इस्तेमाल होता है. लेकिन वो जिस कार्य के लिए प्रशिक्षित होते हैं, सिविल सेवा में उस कार्य को छोड़कर वो दूसरे प्रबंधकीय और प्रशासनिक कार्य में नियुक्त कर दिए जाते हैं, इससे देश के पैसे पका बड़ा नुकसान होता है.'

निष्पक्ष-पारदर्शी हो परीक्षा
सरकार से संकल्प ने मौजूदा सिविल सेवा परीक्षा को निष्पक्ष, पारदर्शी होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा उपयुक्त भी बनाने का आग्रह किया है. संतोष तनेजा के मुताबिक, ‘मौजूदा सिविल सेवा परीक्षा के ढांचे में भारतीय भाषाओं के साथ अन्याय होता है, ग्रामीण भारत और शहरी भारत की सुविधाओं में अन्तर का असर प्रतिभागियों की तैयारी पर भी पड़ता है. ग्रामीण और भारतीय भाषा-भाषी छात्र सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआती दौड़ में पिछड़ जाते हैं, इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है.’

इस मौके पर संकल्प की ओर से चुने हुए 250 से ज्यादा चयनित आईएएस प्रतिभागियों का सपरिवार सम्मान भी किया गया. आरएसएस के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने चयनित आईएएस प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘भारत तेज गति से विकास कर रहा है लेकिन चारित्रिक गिरावट के कारण भारत का मन अतृप्त हो चला है. विकास की मौजूदा गति भारत के मन को तृप्त नहीं कर पा रही. सवाल है कि देश में बढ़ते चारित्रिक संकट को कौन रोकेगा, कैसे रोकेगा?’ भ्रष्टाचार और बेइमानी को आतंकवाद की फंडिंग का बड़ा स्रोत बताते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि ‘दुनिया भर में आतंकी हमलों में भ्रष्टाचार और बेइमानी से कमाया हुआ धन इस्तेमाल हो रहा है.

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26/11 के हमले में भी नंबर दो का पैसा इस्तेमाल हुआ. बेइमान और भ्रष्ट लोगों को ये समझ लेना चाहिए कि वो देश में सिर्फ भ्रष्टाचार से धन ही नहीं कमाते हैं बल्कि अपनी पीढ़ियों के सर्वनाश की बुनियाद भी रखते हैं.’ चयनित आईएएस प्रतिभागियों को डॉ. कृष्णगोपाल ने सुझाव दिया कि ‘उन्हें निजी जीवन में ईमानदारी, विनम्रता के साथ कुशल टीम वर्क में भी आगे रहना चाहिए. सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए खुद का उदाहरण पेश करना होगा.’

संकल्प के इस आयोजन में गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली, संविधानविद सुभाष कश्यप ने भी मार्गदर्शन दिया. केंद्र सरकार में विज्ञान-प्रोद्योगिक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, नवनियुक्त मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद थे.

गौरतलब है कि आरएसएस से जुड़े संकल्प की ओर से सिविल सेवा परीक्षा में शामिल प्रतिभागियों को कोचिंग और मार्गदर्शन का काम बीते दो दशक से चल रहा है. संकल्प ने 2016 के नतीजों में 60 फीसद सफल आईएएस प्रतिभागियों को खुद से जुड़ा बताया है.

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