एथेंस से बैरंग लौटने की मायूसी अब तक नहीं भुला सकी गोल्डन शूटर अंजलि भागवत ने अर्जुन की तरह बीजिंग ओलंपिक में पदक पर निशाना साध रखा है और उन्हें पूरा विश्वास है कि इस बार देशवासियों को वह निराश होने का मौका नहीं देंगी.
अंजलि ने कहा ओलंपिक की मेरी तैयारी इस बार पुख्ता है क्योंकि मैने हंगरी के कोच लाजलो जियाक के मार्गदर्शन में योजनाबद्ध तरीके से तैयारी की है. इसका मनोवैज्ञानिक फायदा मिलेगा. एथेंस ओलंपिक के दौरान मेरे पास कोच नहीं था लिहाजा मुझे खुद तैयारी करनी पड़ी.
भारतीय निशानेबाजी की सचिन तेंदुलकर कही जाने वाली अंजलि ने ब्राजील विश्व कप 2006 में चौथे स्थान पर रहकर लगातार तीसरी बार ओलंपिक खेलों के लिए अहर्ता प्राप्त की है.
देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित इस एयर राइफल निशानेबाज ने एथेंस ओलंपिक की नाकामी के बाद खेलों से संन्यास लेने का मन बना लिया था. उन्होंने अपनी वेबसाइट पर कहा एथेंस ओलंपिक के बाद मैं निशानेबाजी छोड़ना चाहती थी. लेकिन जब मैंने इसकी कोशिश की तो मेरा सुकून छिन गया और मैं पागल जैसी होने लगी. फिर मैने वापसी की जो कामयाब रही और मैने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया.