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चुनाव आयोग का फैसला- हलफनामे में गलत जानकारी पर लेगा एक्शन

चुनाव आयोग ने बैठक में फैसला किया कि एफिडेविट में दी गई किसी भी गलत जानकारी को चुनाव की अखंडता को प्रभावित करने वाला माना जाएगा.

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एफिडेविट में दी गई किसी भी गलत जानकारी पर होगी कार्रवाई
एफिडेविट में दी गई किसी भी गलत जानकारी पर होगी कार्रवाई

  • चुनाव आयोग ने एक बैठक में मंगलवार को लिया फैसला
  • स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक चुनाव कराने की दिशा में निर्णय

निर्वाचन आयोग ने भारतीय चुनावों के सबसे पुराने मुद्दे हलफनामे में गलत जानकारी देने के मामले में संज्ञान लिया है. चुनाव आयोग की एक बैठक में हलफनामों में गलत जानकारी देने के मामले में एक्शन लेने के लिहाज से फैसला लिया गया. इस मीटिंग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो अन्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र शामिल थे. मीटिंग में अन्य सीनियर अफसर भी मौजूद रहे.

अफसरों ने बैठक में फैसला किया कि एफिडेविट में दी गई किसी भी गलत जानकारी को चुनाव की अखंडता को प्रभावित करने वाला माना जाएगा.

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भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को कहा कि वह नामांकन प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों द्वारा झूठे हलफनामों की शिकायतों का संज्ञान लेगा और ऐसे मामलों को संबंधित जांच अधिकारियों को केस-टू-केस आधार पर रेफर करेगा. आम तौर पर चुनावी हलफनामे में गलत सूचनाओं संबंधित शिकायतें अदालतों में दायर की जाती हैं.

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अपनी बैठक में आयोग ने देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनावी हलफनामों में गलत सूचना की चुनौती से सख्ती से निपटने का फैसला लिया है.

जारी बयान में आयोग ने कहा कि उसे कुछ प्रत्याशियों द्वारा दायर हलफनामों में झूठी जानकारियां देने के संबंध में शिकायतें मिल रही हैं. फिलहाल, व्यक्ति को जन प्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 125ए के तहत जरूरी कार्रवाई के लिए अदालत में ऐसी शिकायत दर्ज करानी होती है.

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बयान में कहा गया है कि आयोग ने इस स्थिति की समीक्षा की और फैसला किया कि वह ऐसी शिकायतों का संज्ञान लेगा जिनमें उम्मीदवार की तरफ से गंभीर चूक का संकेत मिलता हो और मामला दर मामला के आधार पर उसे प्रासंगिक जांच प्राधिकारी को भेजेगा. लोग अपनी ऐसी शिकायतों को लेकर अदालत का रुख कर सकते हैं.

बता दें कि चुनाव लड़ने वाले एक उम्मीदवार को फॉर्म 26 नाम का हलफनामा दायर करना होता है जिसमें उसे संपत्ति, देनदारियों, शैक्षिक योग्यता और आपराधिक रिकॉर्ड, यदि कोई हो, की जानकारी प्रस्तुत करनी होती है. चुनाव आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में झूठ बोलने की मौजूदा सजा छह महीने तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों है.

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चुनाव सुधार के तहत आयोग ने 2011 में केंद्र सरकार को सिफारिश की थी कि कानून की धारा 125ए में संशोधन किया जाए और झूठा हलफनामा देने पर दो साल की सजा की जाए. मामला केंद्रीय कानून मंत्रालय के पास लंबित है.

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