नागरिकता संशोधन बिल भारत की संसद से पास हो गया है और कानून बनने का रास्ता साफ है. इस बिल के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. भारत में बिल के पास होने के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्री का बयान आया है, जिसमें उन्होंने अपने देश की तारीफ की है.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके. अब्दुल मोमेन ने कहा है कि दुनिया में कुछ ही ऐसे देश हैं, जहां बांग्लादेश जैसा अच्छा सांप्रदायिक सौहार्द है. अगर वो (अमित शाह) बांग्लादेश में आकर कुछ महीने गुजारेंगे, तो उन्हें हमारे देश में शानदार सांप्रदायिक सौहार्द दिखेगा.
Dr AK Abdul Momen, Bangladesh Min of Foreign Affairs says,“There are a very few countries where communal harmony is as good as in Bangladesh. If he (Home Min Amit Shah) stayed in Bangladesh for few months, he would see exemplary communal harmony in our country": Bangladesh media pic.twitter.com/TGpTDeYahu
— ANI (@ANI) December 12, 2019
उन्होंने कहा कि भारत के अंदर ही काफी दिक्कतें हैं, पहले उन्हें उनसे निपटना चाहिए. हमें उससे कोई परेशानी नहीं है लेकिन एक दोस्त देश होने के नाते हम इतना चाहते हैं कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा, जिससे दोनों देशों के संबंध में तकरार आएगी.
गौरतलब है कि गुरुवार को राज्यसभा में दिए गए अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह ने बांग्लादेश का नाम लिया था.
क्या बोले थे अमित शाह?
अमित शाह ने जिक्र किया था कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान एक इस्लामिक देश हैं, ऐसे में वहां पर अन्य धर्म के लोग अल्पसंख्यक हैं. यही कारण है जिन अल्पसंख्यकों की वहां पर धार्मिक प्रताड़ना हो रही है और वो भारत आ रहे हैं, तो उन्हें यहां नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है.
इस दौरान अमित शाह ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हुई कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया था, हालांकि साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि वहां मौजूदा शेख हसीना सरकार अब माहौल ठीक करने में जुटी हुई है.
दरअसल, बांग्लादेश से कई लोग बिना किसी इजाजत के भारत में घुस आते हैं, जो पूर्वोत्तर के राज्यों में एक बड़ा मुद्दा रहा है. इसी के तहत भाजपा ने देशभर में NRC को लागू करने का फैसला किया है.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए बिल के मुताबिक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी.