49 की उम्र, 23 साल का करियर और 46वां ट्रांसफर. यह कहानी है हरियाणा के ईमानदार माने जाने वाले आईएएस अफसर अशोक खेमका की. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सौदे के खिलाफ आवाज उठाकर हीरो बने खेमका को बीजेपी की सरकार में भी राहत नहीं मिली. अपने नए ट्रांसफर पर खेमका ने दुख भी जताया. 'सोनिया गांधी की जगह मैं होता तो रॉबर्ट से लौटवाता 50 करोड़ रुपये'
Tried hard to address corruption and bring reforms in Transport despite severe limitations and entrenched interests. Moment is truly painful
— Ashok Khemka, IAS (@AshokKhemka_IAS) April 1, 2015
खेमका के जीवन की
पांच खास बातें2. एक ऑडिटर की रिपोर्ट में वाड्रा मामले में खेमका के कदम को सही ठहराया गया. मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने यह रिपोर्ट पिछले महीने पेश करके उनका समर्थन किया था. लेकिन विडंबना यह है कि नई सरकार ने भी खेमका की अपने खिलाफ दर्ज चार्जशीट रद्द करने की मांग पर कदम नहीं उठाया है.
3. खेमका ने तीन साल पहले गुड़गांव के कई गावों की पंचायती जमीन को बिल्डरों के हाथ में जाने से बचाया था. उन्होंने बिल्डरों की मदद करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी. लेकिन हुड्डा सरकार ने आरोपी अफसरों पर कार्रवाई करने की जगह, खेमका का ट्रांसफर कर दिया था.
4. माना जा रहा था कि बीजेपी सरकार उनके तबादले का सिलसिला रोक देगी, लेकिन खट्टर सरकार ने उन्हें पांच महीने के अंदर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पद से ट्रांसफर कर पुरातत्व व संग्रहालय विभाग में भेज दिया.
5. खेमका ने निदेशक के रूप में श्रम, रोजगार व प्रशिक्षण विभाग में 15 महीनों का कार्यकाल पूरा किया था, जो 23 साल के करियर के दौरान उनका सबसे लंबा कार्यकाल है.