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आज तक ने किया सेना के आर्डिनेंस कोर में भ्रष्‍टाचार का खुलासा

आज तक लेकर आया है सेना का वो सच जिसे खुफिया कैमरे ने किया है कैद. पोल खुलेगी भारतीय सेना के आर्डिनेंस कोर के उन अफसरों की जो देश की सरहद पर डटे जवानों को सुई से लेकर वर्दी तक मुहैया कराते है.

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आज तक लेकर आया है सेना का वो सच जिसे खुफिया कैमरे ने किया है कैद. पोल खुलेगी भारतीय सेना के आर्डिनेंस कोर के उन अफसरों की जो देश की सरहद पर डटे जवानों को सुई से लेकर वर्दी तक मुहैया कराते है. बात होगी आर्डिनेंस कोर के उस भ्रष्ट्राचार का जिसे आज तक कोई उजागर न कर सका.

एक बेहद सीक्रेट आपरेशन के तहत आजतक की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने देश की कई बड़ी छावनियों में आर्डिनेंस डिपो की गहरी छानबीन की और उस सच को उजागर किया जो अब तक बैरको में ही दफन था. ये वो सच है जिसे जानकर लोगों के पैरों तले जमीन खिसक जायेगी क्योंकि लोग जान सकेंगे कि वर्दी में सेना के बड़े-बड़े अफसर कैसे भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त हैं.

इस खुलासे के पीछे आज तक का मकसद सिर्फ उन अफसरों को बेनकाब करना है जो देश की आन बान और शान के लए मर मिटने वाले जवानों को मिलने वाली वर्दी तक के पैसे अपनी जेबों में भर रहे है.

शौर्य, साहस और वीरता का पर्याय बन चुके भारतीय सेना के जवान के किरदार पर कभी उंगली नहीं उठी. देश पर जब भी खतरे के बादल छाये इन जवानों ने जान की बाजी लगा दी. लेकिन इन जवानों को सुई से लेकर वर्दी तक देने वाले अफसरों के किरदार पर उंगलियां उठती रही हैं. दबी जुबान पर आरोप लगते है कि सेना की आर्डिनेंस कोर में भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है. {mospagebreak}

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आर्डिनेंस में भ्रष्ट्राचार का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गूंजा तो आज तक ने भी अपनी ओर से पड़ताल करने की ठानी. जून 2010 में आज तक ने आर्डिनेंस कोर के एक ऐसे ठेकेदार अजीत सिंह दहिया से संपर्क किया जो कुछ साल पहले इसी कोर में काम करते थे. दहिया साहब से बातचीत के बाद शुरू हुआ 'ऑपरेशन एक्स' जिसकी शुरूआत हुई कर्नल एस के खन्ना से.

लेफ्टिनेंट कर्नल एस के खन्ना, ब्रिग्रेड आर्डिनेस अफसर, 769 एअर डिफेंस बिग्रेड. आज तक के रिपोर्टर ने इस अंडर कवर आपरेशन में आर्मी कांट्रेक्टर का रूप धारण किया और दहिया साहब की मदद से एक सप्लाई फर्म आर के ट्रेडिंग कंपनी का नाम इस्तेमाल किया. आर के ट्रेडिंग का सहारा लेकर हमारे रिपोर्टर को दहिया साहब ने कर्नल खन्ना से ठेकेदार के तौर पर मिलवाया. आर्डिनेस ड़िपो में सप्लाई का काम लेने के लिये कर्नल खन्ना से दहिया ने हमारी पहली मुलाकात करायी दिल्ली में. इससे पहले दहिया साहब ने कर्नल खन्ना के साथ कई मुलाकात की थी.

यूं तो कर्नल खन्ना की पोस्टिंग जोधपुर में है लेकिन हमसे बातचीत के वक्त वो छुट्टी बिताने हैदराबाद गये हुये थे. ठेके की बात सुनते ही कर्नल खन्ना हैदराबाद से सीधे दिल्ली आ पहुंचे और आते ही हमें दिल्ली के एक रेस्त्रां में मुलाकात के लिये बुलाया. हमारे साथ विसिल ब्लोअर अजीत दहिया भी थे. {mospagebreak}

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तारीख 26 जून दिल्ली का मालवीय नगर इलाका, रौंदवू रेस्टोरेंट

अजीत- अभी हैदराबाद से ही आ रहे हैं.
खन्ना- हांजी कल आ गया था.
अजीत- वहां तो मानसून आ रही होगा.
खन्ना- बारिश आ रही वहां तो बड़ा बढ़िया मौसम है.

हैदराबाद से हमसे मिलने आये कर्नल खन्ना ने पहले तो हमारा हालचाल लिया और फिर मौसम और बारिश की बातचीत की फिर धीरे-धीरे वो धंधे की बात पर आ गये. सबसे पहले उन्‍होंने जिक्र किया गोहाटी में अपनी पोस्टिंग का और ये बताया कि किस तरह से वो ठेकेदारों की मदद करते हैं.

खन्ना- 98 में मैं वहां था गोहाटी में था तब एक लाख रूपये बहुत बड़ी चीज होती थी. 97 में एक लाख रूपये बहुत होते थे. 14 साल हो गये वहां पर अमृतसर के एक सरदार जी उनका बहुत नुकसान-वुकसान हो गया शरीफ आदमी थे काफी एजेड थे. अच्छा तो कमांडेट मैं तो मेजर था कमांडेट थे. साहब तो उसको एक लाख रूपये से ज्यादा की बेडशीट चाहिये थी. तो मैंने बोला सरदार जी करोगे ये काम. सारे डाक्यूमेंट बना दूंगा मार्च आ गया आपकी पेमेंट भी प्री करा दूंगा ये भी करा दूंगा कि आप सप्लाई भी बाद में कर दो मुझे छुट्टी जाना था कमांडे़ट साहब बोले कि यार तू छुट्टी जा रहा है और मेरी भी एक साल की टैन्योर हो गयी है. मैं बोला कि साहब एक आदमी आप इनसे एक लाख रूपये का चैक साईन करा कर अपने पास रख लो, कहने लगे कि यार ऐसा आईडिया हमे क्यों नहीं आता. मैंने कहा कि साहब 100 आदमी धोखा देने वाले है तो पचास आदमी विश्वास वाले हैं. {mospagebreak}

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धीरेन्द्र-विश्वास वाले है

खन्ना - धंधें में हर तरह के आदमी हैं. 100 आदमी विश्वास वाले है तो धंधे के अंदर 10 आदमी धोखा देने वाले हैं. मैं अगर बिजनेस करूंगा जब भी धोखा दूंगा तो मुझे अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी.

कर्नल खन्ना ने हमे ये जताने की कोशिश की कि वो ठेकेदार का पूरा ख्याल रखते हैं और कोशिश करते हैं कि जल्दी पेमेंट कराये और कमीशन का भी ध्यान रखे. वो ये भी हमें जता रहे थे कि उऩ्हें ठेकेदार ऐसा चाहिये जो भरोसे का हो. फिर कर्नल खन्ना ने हमे बताया कि अगर धंधा करना है तो अंबाला छावनी ही सबसे बेहतर होगा. कर्नल खन्ना के मुताबिक अंबाला छावनी से सबसे बड़ी कोर को सप्लाई की जाती है. वहां बजट भी ज्यादा है और कमाई भी.

अजीत- कोर (अंबाला) के लिये तो सब मरते हैं.
खन्ना हूं एरिया तो बहुते हैं देखिये आदमी को डीलिंग वहीं फायदा ज्यादा होता है जहां ट्रूप और फौज ज्यादा है. जहां फौज ज्यादा है वहां इक्युपमेंट ज्यादा है जहां इक्यूपमेंट ज्यादा है वहां गाडियां ज्यादा होंगी उसकी खपत ज्यादा होंगी.
अजीत- कोर नहीं, जी असली बात तो ये है कि एक तो डीलर दूसरा वहां कम्पीटीशन ज्यादा है.
खन्ना- गढ़ है अंबाला.{mospagebreak}
ठेकेदारी और परसेंटेज की इस बातचीत को समझना थोड़ा मुश्किल है इसलिये हम आपको कर्नल खन्ना की बात को थोड़ा आसानी से बताते हैं. कर्नल खन्ना यहां जिक्र कर रहे हैं अंबाला में ओएमसी में सप्लाई के ठेके का. ओएमसी का मतलब आर्डिनेस मेंटीनेंस कंपनी. ये वो कंपनी है जो उत्तर भारत में तैनात फौज की लगभग 150 यूनिट को वर्दी से लेकर फौज की यूनिट का सारा सामान मुहैय्या कराती हैं. इस सप्लाई के लिये कुल पैतीस परसेंट कमीशन देना पड़ता है.

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अंबाला की आर्डिनेंस मेंटीनेंस कंपनी यानि ओएमसी में सप्लाई करने वाले सामान की कीमत को ठेकेदार और अधिकारी किस तरह बढ़ा चढ़ा कर काली कमाई करते है इसकी एक मिसाल भी कर्नल खन्ना ने दी. उऩ्होंने बताया कि ट्रक, जीप और कार के रेडियेटर पर लगने वाली कैप की सप्लाई में किस तरह लूट की गयी.{mospagebreak}
खन्ना- रेडिएटर की जो कैप होती है ना कैप
धीरेन्द्र- हां हां
खन्ना- वो कैप कितने की खरीदी गयी होगी आप साला एक आईडिया मारो आप
धीरेन्द्र- मैं क्या आईडिया मारूं

अजीत- आठ सात रूपये की तो आज है दस रूपये की होगी आज के दिन
खन्ना- चौसठ सौ रूपये की कैप. कैप याद है उसका नाम पता क्या रखा था हम को तो इनक्वायरी में नाम रिपोर्ट-सिपोर्ट, सीओ हमारा मेंबर था कैप चैनड के साथ आती है रेडियेटर से गिर न जाए उसका नाम रखा गया कि कैप रेडिऐटर विद चैन असेंबली, कैप रेडिऐटर पढ़ने वाले को लगे कि जैसे साला पूरा रेडिऐटर खरीद लिया हो
खन्ना- तीन दफा पढ़ा मैंने उसे. विद रेडिऐटर बोला बेटे ये दिमाग के पैसे हैं, कहते है यार मैं भी टैंशन में आ गया कि चैन रेडिऐटर विद चैन असेंबली जैसे साला चौसठ सौ रूपये में पूरा रेडिऐटर खऱीद लिया, आयी थी सिर्फ कैप चौसठ सौ रूपये में.

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कर्नल खन्ना से अब हम खुलकर बात करने लगे थे. हमने उनसे कहा कि वो हमें अपनी यूनिट में कुछ सप्लाई का ठेका दिला दे. इस पर वो आसानी से तैयार थे. मेरी यूनिट में काम शुरू कर दो एटीजी का काम दिला दूंगा. जो भी डीलिंग किसी के साथ होंगी मैं तो कहता हूं कि आप डायरेक्ट करो. मुझे बीच में मत लेना ताकि आपको भी डाउट न हो
अजीत- सर आपसे क्या डाउट
धीरेन्द्र- सर आपसे क्या
खन्ना- नहीं आपसे संबंध डायरेक्ट हो सीधा हो
धीरेन्द्र- सर ठीक है मुलाकात हो जाये अच्छा है जैसे आप आये खाना खाया आच्छा लगा ऐसे ही उनके साथ खाना खा लेगें. {mospagebreak}

कर्नल खन्ना के इस ऐतबार में हमने रेस्त्रा में बैठे-बैठे सोचा कि इनको कुछ एडवांस दिया जाये. खाना खाते ही हमने खन्ना साहब को गिन कर दे दिये दस हजार
अब कितना, दे दो आप जितना देना हो अपने हिसाबसे दे दो, दस दे दो, हां बाकि बाद में दे देना, ये तो सिर्फ आने-जाने का, सोमवार मंगल का ही कर दे.
कर्नल खन्ना हमसे दस हजार रूपये ले चुके थे और हम उनके साथ सलाह करके जा पहुंचे अँबाला छावनी. अबांला छावनी जो आर्डिनेंस की सप्लाई का बड़ा गढ़ है.

कर्नल खन्ना के काले कारनामे और रिश्वतखोरी का खेल सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता. अब हम आपको दिखाते हैं कि कर्नल खन्ना जवानों के साथ कैसे-कैसे खिलवाड़ कर रहे हैं.

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कर्नल एस के खन्ना से दिल्ली में मुलाकात करने के बाद 28 जून 2010 को आजतक की टीम पहुंची अंबाला छावनी. अंबाला छावनी में सबसे पहले हम पहुंचे सीएमपी यानि सैन्ट्रल मिलट्री पुलिस के दफ्तर में. सीएमपी में आर्मी ट्रैनिंग ग्रांट यानि एटीजी के तहत सप्लाई के ठेके दिये जाते है.{mospagebreak}
ठेके लेने के लिये हमने सहारा लिया आर के ट्रैडिंग नाम की एक लोकल फर्म का और बातचीत के लिये हम महेन्द्र नाम के एक पुराने वर्कर को साथ ले गये. महेन्द्र को अपने साथ लेने की वजह ये थी कि वो कई लोगों को जानते थे वहां. तो सबसे पहले हम मिले सीएमपी में हवलदार राव से.

महेन्द्र- नमस्ते साहब.
क्लर्क- हां साहब, जयहिंद.
महेन्द्र- छुट्टी गया.
क्लर्क- नहीं अभी गया नहीं बैठो-बैठो. अच्छा अब तो आ ही गया एटीजी का एक दो बिल बनाना है.
महेन्द्र- बात हुई क्या.
राव- कितना परसेंट दे रहे हो.
महेन्द्र- यार हम तो नया
राव- नहीं नहीं नार्मली बताओ तुम नया नहीं
महेन्द्र- साहब से बात हई थी. जो कहेंगे कर देंगे.
राव- साहब से बात
महेन्द्र- कितना चाहिये अभी कितना
राव- अभी हमको बिल वगरैह, चैक वगैरह, नेक्स्ट वीक मिलेंगे. अब पैसा देना है. बिल तो दे देना, .ब्लैंक डेट डेट नहीं डालना है.

हमें जानकारी मिली थी कि अंबाला में एटीजी यानि आर्मी ट्रेनिंग ग्रांट के तहत कोई सामान खरीदें बिना ही सिर्फ फर्जी बिल देकर भुगतान किये जाते है. और इस तरह का घोटाला सीएमपी में भी चल रहा है. आईये समझते है कि एटीजी के तहत घोटाला होता कैसे है. {mospagebreak}

चाहे जवानों की बैरक के लिये टेलीविजन से खरीदना या फिर कोई फर्नीचर. सच ये है कि कोई भी सामान खरीदा नहीं जाता सिर्फ कागजों पर खरीद-फरोख्त होती है और ठेकेदार और अफसर अपनी जेबें गर्म कर लेते है. तो आईये देखते है कैसे होता है ये सौदा. मान लीजिये कि एक हजार रूपये के सामान का सौदा होना है. इसके लिये ठेकेदार एक हजार रूपये नकद संबंधित अफसर को देगा. बदले में वो अफसर ठेकेदार को एक हजार रूपये पर लगने वाले वैट और दूसरे टैक्स जोड़ कर और ऊपर से ठेकेदार का कमीशन जोड़ कर जो रकम बनती है, उसका चेक उसे दे देगा. सारी खरीद कागजों पर दिखा दी गयी और एक हजार रूपये पहुंच गये अफसर की जेंब में. ठेकेदार को बिना कुछ किये-धरे मिल गया कमीशन.

हवलदार राव के जरिये इस डील के लिये हम मिले सीएमपी के लेफ्टीनेंट कर्नल राजीव नागपाल से.
महेंद्र- बस सर हां साहब सेवा बताओ
राजीव नागपाल- सेवा तो क्या. आप बिल आटो एजेंसी के नाम पर देते हो या.
महेन्द्र- किसी और नाम से भी देते हैं
धीरेन्द्र- आर के ट्रैडर्स वाला दे देना ना
राजीव- नागपाल कोई प्राब्लम
धीरेन्द्र- नहीं सर कोई प्राब्लम नहीं
राजीव- क्योंकि आटो एजेसी
महेन्द्र- नहीं नहीं ट्रैडिंग कंपनी भी है हमारी
राजीव- एक्चुअली हमने खरीदे है तीन कूलर, ये हमारे पास तीन, थ्री कूलर वाला है नॉव.
साल का शुरू है ना मैं अभी परख रहा हू समझ लो आपको टाईमली कागज कर दो हमारे.{mospagebreak}
कर्नल नागपाल हमसे कह रहे है कि हम तीन डेजर्ट कूलर के फर्जी बिल बनाकर उन्हें सौंप दे. वो कूलर जो ना हमने खरीदे और न बेचे. हमको उनको देने है तीन कूलर के एडवांस पैसे और बदले में हमको वो देंगे कूलरों की कुल कीमत में आठ परसेंट टैक्स जोड़ कर कूलरों की कुल कीमत का कमीशन के साथ चैक.
राजीव- एक्चुअली हमने खरीदे है तीन कूलर ये हमारे पास तीन. थ्री कूलर वाला है नॉव
राजीव- साल का शुरू है ना मैं अभी परख रहा हूं समझ लो आपको टाईमली कागज कर दो हमारे
धीरेन्दर- ठीक है
राजीव- हमने पिछले साल गर्मियों से पहले तीन कूलर खरीदें थे
धीरेन्द्र- ठीक है
राजीव- सात हजार पांच सौ
राव- मैं बता दिया आठ हजार
राजीव- मतलब उसमें आठ हजार तक पढ़ जायेगा हम आपसे आठ हजार ले लेते है कैश और हम आपसे आठ हजार के तीन बिल बनवा लेते है कूलर के
धीरेन्द्र- ठीक है{mospagebreak}
हमने फौरन ही पांच-पांच सौ के नोट नि्काले और महेन्द्र के हाथ में दिये. महेन्दर ने उनको गिना और उसमें से 16 नोट निकाले और इन नोटो की गड्डी थमा दी कर्नल साहब के हाथ में. कर्नल साहब ने नोट लिये और अपने हवलदार राव के हाथ में देकर गिनने के लिये कहा.
धीरेन्द्र- हमारा तो कोई प्राब्लम नहीं है सर शुरूआती धंधा है हमे कोई परेशानी नहीं
महेन्दर- लो सर आठ है
राजीव- गिन लो नकली असली का पता नहीं
धीरेन्द्र- नहीं
राजीव- दुनिया को टाईम नहीं गिनने
धीरेन्द्र- लेकिन सर फिर भी देख लेना चाहिये
राजीव- व्हैन यू आर गिवन आईटम्स और बिल एटीजी का बिल बनाना है
महेन्द्र- एटीजी का
महेन्द्र- सुबह मैं बिल दे दे जाऊंगा आपको

राजीव- कोई प्राब्लम नहीं
अंबाला छावनी में मिलिट्री पुलिस के दफ्तर में वर्दीधारी कर्नल को रिशवत देते हुए हम घबरा रहे थे लेकिन कर्नल साहब के चेहरे पर कोई शिकन नहीं.
राव- ब्लैंक दे दे
धीरेन्द्र- ब्लैंक साईन करके दे देंगे
राव- डेट खाली छोड़ना
धीरेन्दर- बता देना.
अंबाला छावनी में रिश्वत का बोलबाला मिलिट्री पुलिस के दफ्तर तक ही सीमित नहीं था संगीन के साये में फौज के कई दफ्तरों में हमारे कैमरे ने उस सच को कैद किया जिसे देखकर हम जितने हैरान थे उतने ही परेशान थे.

ऑपरेशन जय जवान एक ऐसा स्टिंग ऑपरेशन है जो पहली बार सेना की अहम छावनियों में रिश्वतखोरी की तस्वीरों को उजागर कर रहा है. हमने आपको बताया कि किस तरह से बिना कोई सामान खरीदे, फर्जी बिल तैयार करके जवानों को मिलने वाली ग्रांट का पैसा ठेकेदार और सेना के अफसर लूट रहे है. चौंकाने वाली बात ये है कि भ्रष्ट्राचार का आलम अंबाला की इस छावनी में इस कदर है कि यहां रिश्वत भी एडवांस में ले ली जाती है.

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