गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में बीआरटी के भविष्य का फैसला हो सकता है. एक एनजीओ की याचिका पर चौबीस सितम्बर को सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
दक्षिणी दिल्ली में जाम की मुख्य वजह बन चुके बीआरटी के खिलाफ न्यायभूमि नाम के एक एनजीओ ने अदालत में एक याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान एनजीओ ने सीआरआरआई की रिपोर्ट का हवाला देते अदालत में कहा कि बीआरटी पूरी तरह से जनता के पैसे की बर्बादी है.
अदालत के आदेश पर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में सीआरआरआई यानि सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने माना था कि ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिये बनाया गया बीआरटी कॉरिडोर दिल्ली के लिये मुसीबत बन गया है.