द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की ओर से केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से हटने की घोषणा के बाद उसकी और कांग्रेस की सात साल पुरानी दोस्ती अब खत्म हो गई मालूम पड़ती है. दोनों ने अलग होने के संकेत दिए हैं.
दोनों दलों में उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि वे किसी भी तरह से झुकने को तैयार नहीं है. शनिवार रात द्रमुक ने सरकार से हटने का फैसला किया था.
द्रमुक ने कहा है कि उसके मंत्री सोमवार को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद टीआर बालू ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमारे मंत्री दिल्ली जाकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे.’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल में पार्टी के एमके अलागिरी और दयानिधि मारन समेत छह सदस्य हैं. बालू ने कहा कि पार्टी ने जब से मंत्रिमंडल से हटने के फैसले की घोषणा की है, तब से कांग्रेस के किसी सदस्य ने उनसे संपर्क नहीं साधा है .
तमिलनाडु विधानसभा के लिए 13 अप्रैल को होने वाले चुनाव में कांग्रेस 63 सीटों की मांग पर अड़ी हुई थी. इससे नाराज द्रमुक ने मंत्रिमंडल से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी. द्रमुक का कहना था कि कांग्रेस नहीं चाहती कि उनकी पार्टी गठबंधन में बनी रहे.{mospagebreak}
द्रमुक विधानसभा की 234 सीटों में से 60 कांग्रेस को देने पर सहमत थी, हालांकि कांग्रेस राज्य में 122 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी. लोकसभा में द्रमुक के 18 सदस्य हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया, ‘‘द्रमुक के साथ सुलह करने के अलावा और भी विकल्प हैं. कोई पार्टी 18 सांसदों का समर्थन देकर सीट बंटवारें में अपनी मनमानी नहीं कर सकती.’’
द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘हम निराशावादी नहीं होना चाहते हैं.’’ इस बीच, कांग्रेस महासिचव और तमिलनाडु में पार्टी के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने द्रमुक के केंद्र की संप्रग सरकार से अलग होने के फैसले के संदर्भ में बीती रात वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ चर्चा की.
दोनों नेताओं के बीच दो घंटों तक मुलाकात चली. आजाद और मुखर्जी ने हाल के इस राजनीतिक घटनाक्रम और आगे की रणनीति पर चर्चा की. कांग्रेस के ये दोनों नेता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें तमिलनाडु की स्थिति के बारें में अवगत कराएंगे.