गृह मंत्रालय ने नवंबर में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के लिए सिख जत्थों को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए एक सलाह जारी की है. यह सलाह 12 सितंबर को छह राज्यों को भेजी गई थी, जिसमें सुरक्षा स्थिति और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले का हवाला दिया गया था. 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद यह मुद्दा और भड़क गया, जिससे राजनीतिक और सिख नेताओं ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए.
इस फैसले के बाद पंजाब में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले को "दोहरा मापदंड" बताया. उन्होंने सवाल किया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो सकते हैं, तो धार्मिक यात्रा को क्यों रोका जा रहा है.
भगवंत मान ने कहा, "राजनीति और क्रिकेट इंतजार कर सकते हैं, लेकिन भक्ति नहीं." उन्होंने यह भी कहा कि मैचों से मिलने वाला पैसा आखिरकार आतंकवाद और ड्रग्स को बढ़ावा देगा.
विपक्ष और धार्मिक नेताओं का विरोध...
विपक्षी पार्टियों और सिख धार्मिक नेताओं ने भी इस सलाह की निंदा की है. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गृह मंत्री अमित शाह से फैसले की समीक्षा करने की अपील की. उन्होंने कहा कि सिख तीर्थयात्रियों को उनके गुरुद्वारों तक जाने से रोकना उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा. कांग्रेस नेता और विधायक परगट सिंह ने भी केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए इसे "दोहरा मापदंड" बताया. उन्होंने कहा कि सरकार क्रिकेट, व्यापार और फिल्मों के लिए संबंध बहाल करती है, लेकिन भक्तों को ननकाना साहिब जाने से रोकती है.
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क्या है असल मुद्दा?
यह विवाद उन हजारों भक्तों को सीधे प्रभावित करता है, जो पारंपरिक रूप से गुरुपर्व के दौरान ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब जाते हैं. सरकार ने यह कदम हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ मौजूदा सुरक्षा स्थिति और तनाव का हवाला देकर उठाया है. यह सलाह धार्मिक यात्राओं पर रोक लगाने के लिए जारी की गई थी.