कोरोना काल में संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है. सत्र शुरू होने से पहले ही हंगामा शुरू हो गया है. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है. दरअसल, कोरोना को देखते हुए इस बार प्रश्न काल को कैंसिल कर दिया गया है. इससे डेरेक ओ ब्रायन नाराज हैं.
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को कहा, 'सांसदों को 15 दिन पहले ही प्रश्न काल के लिए अपने प्रश्न सब्मिट करना आवश्यक है. सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है, तो क्या प्रश्न काल कैंसिल हो गया? 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद क्या सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो बैठे.'
MPs required to submit Qs for Question Hour in #Parliament 15 days in advance. Session starts 14 Sept. So Q Hour cancelled ? Oppn MPs lose right to Q govt. A first since 1950 ? Parliament overall working hours remain same so why cancel Q Hour?Pandemic excuse to murder democracy
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 2, 2020
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पूछा, 'जब संसद के समग्र कामकाजी घंटे समान हैं तो फिर प्रश्न काल को क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना बनाया जा रहा है.'
डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, '33 वें (1961), 93 वें (1975), 98 वें (1976) 99 वें (1977) सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं हुआ था क्योंकि इन सत्रों को विशेष तौर पर बुलाया गया था. जैसे- ओडिशा, आपात का ऐलान आपातकाल, 44वां संशोधन, तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन. आगामी मानसून सत्र एक नियमित सत्र है.'
अपने अगले ट्वीट में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'इसके अलावा और भी कई बार प्रश्नकाल नहीं हुआ था. जैसे- 41 वें (चीनी अतिक्रमण), 201वें और 216वें (सिर्फ राष्ट्रपति का अभिभाषण था). आगामी मानसून सत्र दो सफ्ताह का सत्र है तो इसलिए अपवाद क्यों?'
गौरतलब है कि 14 सितंबर से शुरू होने वाला मानसून सत्र बिना कोई अवकाश 1 अक्टूबर तक चलेगा. संसद के दोनों सदनों की कुल 18 बैठकें होंगी. हर दिन के पहले चार घंटे राज्यसभा काम करेगी, और अगले चार घंटे लोकसभा. हालांकि सत्र के शुरुआती दिन पहले हॉफ में लोकसभा की बैठक होगी.
नियमों के मुताबिक, स्पीकर ओम बिड़ला को औपचारिक रूप से सदन के सदस्यों से अनुमति लेनी होगी ताकि अपने कक्ष का इस्तेमाल किसी अन्य प्रायोजन के लिए किया जा सके. मसलन राज्यसभा का कामकाज, जिसके सदस्य कार्यवाही के दौरान निचले सदन के कक्ष में भी बैठेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि प्रत्येक सदन की 4 घंटे ही बैठक होगी. अगर आप हफ्ते के आखिर में छुट्टी देते हैं तो सासंदों के यात्रा करने से जोखिम रहेगा. अवकाश हुआ तो हमें सत्र को 1 अक्टूबर से आगे भी बढ़ाना पड़ेगा. ये सुरक्षित वक्त नहीं है कि सत्र को इतना लंबा चलाया जाए.