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मनरेगा का 'जी-राम-जी' या जय राम जी? ‘बापू’ का नाम हटाने और फंड शेयरिंग को लेकर संसद में उठे सवाल

मनरेगा की जगह जी-राम-जी कानून लाने पर संसद में भारी हंगामा हुआ है. विपक्ष ने महात्मा गांधी का नाम हटाने और राज्यों पर 40% वित्तीय बोझ डालने का विरोध किया. सरकार का दावा है कि नया कानून 125 दिन रोजगार, बेहतर निगरानी और कम भ्रष्टाचार सुनिश्चित करेगा.

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी नए बिल को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे (Photo-PTI)
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी नए बिल को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे (Photo-PTI)

आज देश की संसद में बापू के नाम पर दंगल मचा. दरअसल, केंद्र सरकार ने 20 साल पुराने रोजगार गारंटी के मनरेगा कानून की जगह नया कानून लाने की तैयारी की है. विकसित भारत-रोजगार गारंटी आजीविका मिशन ग्रामीण, यानी 'वीबी-जी-राम-जी' कानून.

केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में ये बिल पेश किया तो हंगामा हो गया. विपक्ष ने पहले तो कहा कि बापू के नाम वाले कानून से उनका नाम क्यों हटा रहे हो.फिर विधेयक के ड्राफ्ट पढ़े तो कहा कि अब कर्जे में दबे राज्य 40 फीसदी खर्च कैसे वहन कर पाएंगे जब उनके जीएसटी का पैसा ही केंद्र वक्त पर क्लियर नहीं करता है .सरकार का कहना है कि एक तो पुराना कानून बेकार हो गया था. कोई काम करता नहीं था, पैसे निकाल लेता था, धांधली भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतें थीं.100 की जगह 50 दिन भी काम करने कोई आता नहीं था. इसलिए नया कानून जरूरी है.

सरकार के मुताबिक, नए कानून में एक तो 100 दिन की जगह 125 दिन के ग्रामीण रोजगार की गारंटी मिलेगी. राज्यों का फंड लगेगा तो जिम्मेदारी जवाबदेही भी बढ़ेगी. नई तकनीकों से निगरानी होगी तो फर्जीवाड़ा रुकेगा और अनाप-शनाप योजनाओं की जगह 4 प्रमुख क्षेत्रों से जुड़़ी योजनाओं पर काम होगा तो गांव का जरूरी विकास भी होगा और 2047 के लक्ष्य की दिशा में देश को बढ़ाने में मदद भी मिलेगी.

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इसके अलावा अगर जो राज्य जी-राम-जी में 125 दिन का रोजगार नहीं दे पाए तो आवेदक को बेरोजगारी भत्ता देना राज्यों की जिम्मेदारी होगी. और भी तमाम प्रावधान हैं जिसमें पक्ष और विपक्ष इस प्रस्तावित कानून के नफा-नुकसान गिना रहा है.

विपक्ष का आरोप

आज संसद में जी राम जी विधेयक पेश हुआ तो अंदर से बाहर तक कोहराम मच गया. प्रियंका गांधी समेत विपक्षी सांसद महात्मा गांधी की फोटो लेकर केंद्र सरकार के नये कानून का विरोध कर रहे थे . रोजगार की गारंटी वाले पुराने कानून की जगह नए कानून को लेकर विपक्षी दलों की सबसे बड़ी आपत्ति बापू के नाम को लेकर थी.क्योंकि नये कानून से महात्मा गांधी का नाम मिटा दिया गया था.

विपक्ष के सभी नेताओं ने एक सुर से मनरेगा का नाम जी राम जी करने का विरोध किया तो पुराने कानून को खत्म करके नया कानून बनाने की मंशा पर भी तमाम सवाल उठाए. बड़ी आपत्तियां ये थीं कि मनरेगा कानून में 90 प्रतिशत खर्च केंद्र देता था. जी राम जी कानून में 40 प्रतिशत राज्यों को वहन करना पड़ेगा मनरेगा कानून में मांग के हिसाब से योजनाएं बनती थीं. अब केंद्र के तय मानदंड और बजट के हिसाब से ही बन पाएंगी मनरेगा कानून में कामबंदी का कोई वक्त नहीं था. अब साल में 60 दिन की कामबंदी जरूरी कर दी गई है.

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सरकार का कहना है कि राज्यों की लागत बढ़ेगी तो जिम्मेदारी भी आएगी. वैसे भी राज्य पहले से साजोसामान में 25 फीसदी और 50 फीसदी प्रशासनिक खर्च देते ही थे. अब निगरानी से पैसे बचेंगे तो ज्यादा बजट भी नहीं बेकार जाएगा. लेकिन सरकार के समर्थक टीडीपी के नेता भी अब फिक्र में हैं कि राज्य रोजगार गारंटी का खर्चा कहां से उठाएंगे. आंध्र प्रदेश एक नकदी की कमी वाला राज्य है, इन बदलावों से आंध्र प्रदेश पर 2000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है.

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सरकार का तर्क

बीजेपी का कहना है कि 20 साल में देश बहुत बदल गया है इसलिए मनरेगा की जगह जी राम जी की जरूरत है. सरकार का तर्क है कि इस कानून से भारत के व्यस्क नागरिक को साल में 125 दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी पुराने कानून में बदलाव जरूरी थे क्योंकि MPCE और NABARD RECSS कहता है कि गरीबी 2011-12 के 25.7% से घटकर 23-24 में 4.86% बच गई है. ऐसे में पुराना कानून प्रासंगिकता खो रहा था, भ्रष्टाचार बढ़ गया था, लक्ष्य नहीं प्राप्त हो रहे थे.

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मिसाल के तौर पर पश्चिम बंगाल के 19 जिलों में काम हुए नहीं पैसों का दुरुपयोग हुआ, नियमों का उल्लंघन हुआ. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बंगाल ही नहीं इस साल तो 23 राज्यों में निगरानी की गई तो काफी गड़बड़ी का पता चला.और 2024-25 में राज्यों में कुल ₹193.67 करोड़ रुपये गबन कर दिये गए थे. महामारी के बाद तो सिर्फ 7.61% परिवारों ने 100 दिन पूरे किए थे. विपक्ष का आरोप है कि नये कानून के जरिये केंद्र राज्यों पर आर्थिक दबाव बढ़ाएगा और पंचायतों को अपनी मर्जी के हिसाब से काम की छूट नहीं रह जाएगी.

एआई से पता चलेगी गड़बड़ी

हालांकि केंद्र सरकार की दलील है कि नये कानून के आने से धांधली का AI से पता लगाया जा सकेगा अब जी राम जी के कामों की निगरानी के लिए केंद्रीय और राज्य की संचालन समितियां होंगी. गांव के विकास के लिए जरूरी 4 प्रमुख क्षेत्रों का विकास हो सकेगा. पंचायतों की निगरानी भूमिका बढ़ेगी. GPS और मोबाइल-आधारित निगरानी भी बढ़ेगी. काम का रियल-टाइम MIS डैशबोर्ड मेंटेन किया जा सकेगा और उसके साप्ताहिक सार्वजनिक ब्योरे भी पेश किये जाएंगे. केंद्र की ओर से मनरेगा कानून रद्द करके जी राम जी कानून लाने के पीछे तमाम तर्क दिये गए हैं जिसमें पिछले 10 साल में मनरेगा में चरणबद्ध सुधार के बावजूद कामयाबी नहीं मिलने पर उसे बदलने की कोशिश की गई है.

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