सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गलवान घाटी से जुड़े बयान को लेकर चल रहे मानहानि मामले में बड़ी राहत दे दी है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगी रोक को अप्रैल 2026 में अंतिम सुनवाई तक जारी रखने का आदेश दे दिया है.
इलाहाबाद HC के आदेश के खिलाफ अपील
यह मामला 2020 में चीन के साथ हुए गलवान घाटी संघर्ष के संदर्भ में भारतीय सेना पर की गई टिप्पणी से जुड़ा है. राहुल गांधी ने यह याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से कार्यवाही रद्द करने से इनकार किए जाने के खिलाफ दायर की थी. इससे पहले 4 अगस्त को कार्यवाही पर रोक लगाई गई थी, जिसे अब आगे बढ़ा दिया गया है.
पुणे कोर्ट ने दिया निर्देश
वहीं एक दूसरे मामले में पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को राहुल गांधी को निर्देश दिया कि वह अदालत में दाखिल अपनी किसी भी अर्जी में किसी भी कोर्ट ऑर्डर पर कोई टिप्पणी न करें. अदालत ने पाया कि राहुल गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के जरिए एक अर्जी में कुछ टिप्पणियां की थीं, लेकिन उस आदेश को उन्होंने किसी ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी थी.
मामले की सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट अमोल शिंदे ने कहा, 'अगर आरोपी (राहुल गांधी) को समन जारी करने के आदेश पर कोई आपत्ति है, तो उन्हें उसे उचित अदालत में चुनौती देनी चाहिए. लेकिन जिस आदेश को उन्होंने चुनौती नहीं दी है, उस पर वे कोई टिप्पणी नहीं कर सकते. या तो उन्हें आदेश स्वीकार करना होगा या फिर उसे सही अदालत में चुनौती देनी होगी. इसलिए यह अदालत निर्देश देती है कि आरोपी किसी भी ऐसे आदेश पर कोई टिप्पणी न करें, जो अंतिम हो चुका है या जिसे चुनौती नहीं दी गई है.'
पुणे वाला केस क्या है?
दरअसल पुणे की विशेष एमपी-एमएलए अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ एक अलग आपराधिक मानहानि का मामला चल रहा है. यह केस विनायक दामोदर सावरकर के परिजन सत्यकी सावरकर की शिकायत पर दर्ज किया गया था. आरोप है कि राहुल गांधी ने मार्च 2023 में लंदन में दिए एक बयान में सावरकर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.