समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह यादव से आजतक के खास शो में पूछा गया कि अगर बीजेपी मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं कराना होता तो योगी आदित्यनाथ इतनी ताकत वहां पर नहीं झोकते, वो लगातार वहां पर प्रचार कर रहे हैं पार्टी डिसीजन ले रही थी. अब ये इस याचिका के बारे में तो मतलब पता ही नहीं था तभी गोरखनाथ बाबा को बुलाया गया. फिर उन्होंने अपने वकील को कहा उन्होंने कहा कि हम याचिका को वापस लेंगे ऐसे में ये कहना की जंग टाली जंग हारी जंग तो तब होता है ना जब जनता वोट डालती है.
इसका जवाब देते हुए सपा प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा कि देखिए, आपने सारी बातें रख दी जब आपकी डिबेट शुरू हुई तो स्वघोषित भारतीय जनता पार्टी के बुद्धिजीवी जो प्रवक्ता हैं. उन्होंने एक बात कही कि विरासत में तो चीजें मिल सकती है. विरासत में आप वकील हो सकते हैं, बुद्धि कहां से लाएंगे बुद्धि तो प्रैक्टिस से आती है. बुद्धि तो पढ़ करके आती है समाज में घूम करके आती है और आप किस नेता पर टिप्पणी कर रहे हैं. आप टिप्पणी कर रहे हैं. अखिलेश यादव इस देश के इकलौते नेता हैं, जिन्होंने मोदी सरकार को घुटने पर ला दिया है, ये पूरा देश जानता है. उस पर बहस का विषय नहीं है.
'कोई जीतेगा, कोई हारेगा'
सपा प्रवक्त ने कहा कि आपने केवल धार्मिक स्थलों की बात रखी है. कोई जीतेगा, कोई हारेगा. लेकिन अयोध्या इसलिए महत्वपूर्ण है कि बीजेपी का कुल मुद्दा चुनावी मुद्दा भगवान राम मंदिर रहा है. लेकिन बाद में क्या हुआ फिर उनका फोकस भगवान राम की आस्था से हट करके भगवान राम के नाम पर मिले चंदे पर हो गया है. भगवान राम के मंदिर के नाम पर जमीन घोटाले पर हो गया, अयोध्या के लोग तो जान रहे ना कि आपने किस तरीके से घर उजाड़े हैं, किस तरीके से चंदा चोरी किया है. किस तरीके से जमीन कब्जा ली हैं. वो जनता ने जनादेश दिया है. जनता का जनादेश अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के कुकर्मों के खिलाफ है. इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ है, महंगाई के खिलाफ है, बेरोजगारी के खिलाफ है, इनके जो जुमले थे उनके खिलाफ है तो इनको और देखिए अयोध्या और बाकी धार्मिक स्थलों को आप एक जैसा मत मानिए, जहां तक सवाल मिल्कीपुर का है.
सुनील यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, 'सच है कि मिल्कीपुर में एक व्यवहारिक दिक्कत या कानूनी दिक्कत ये थी कि वहां याचिका दाखिल थी, लेकिन जो अखिलेश प्रताप सिंह कह रहे थे, उसमें भी सच्चाई है. वो बात थोड़ी-सा क्लियर नहीं कर पाए, क्योंकि बीजेपी प्रवक्ता बीच में बोल रहे थे. है क्या की विधानमंडल दल रिपोर्ट करता है राज्य के चुनाव आयोग को राज्य का चुनाव आयोग देश के चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज देता है.'
'तो क्या 2027 में भी नहीं होता चुनाव'
उन्होंने यह भी कहा कि उसमें भी याचिका किस चीज की है जो अवदेश प्रसाद ने नामांकन किया तो जो नामांकन पत्र की नौकरी कराई तो नोटरी का लाइसेंस नहीं था, व्यवहारिक बात तो ये है की अगर अवधेश प्रसाद ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिए है लोकसभा की शपथ ले ली है तो मुझे लगता है. क्योंकि वो याचिका अवधेश प्रसाद के चुनाव को लेकर थी. अच्छा हम दूसरी बात कह रहे हैं अगर कानूनी बाध्यता है अगर यदि मामला तीन साल और ना निपटता तो क्या मिल्कीपुर में 2027 में भी चुनाव नहीं होता. क्या ये चुनाव आयोग कर सकता था तो चुनाव आयोग से भी कहीं न कहीं चूक हुई है.