पहलगाम आतंकी हमले के लगभग आठ महीने बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बड़ा खुलासा करते हुए सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इनमें पांच संदिग्ध, दो आतंकी संगठन-पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) शामिल हैं.
पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. NIA की 1,597 पन्नों की चार्जशीट में पाकिस्तान की साजिश, आरोपियों की भूमिका और सहायक साक्ष्यों का जिक्र किया गया है.
चार्जशीट के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और द रेसिस्टेंस फ्रंट ने पहलगाम हमले की योजना बनाने, सुविधा प्रदान करने और उसे अंजाम देने में भूमिका निभाई थी.
मुख्य हैंडलर: साजिद जट्ट
LeT का शीर्ष कमांडर साजिद जट्ट इस हमले का मुख्य हैंडलर था. जट्ट, जिसे सैफुल्ला, नुमी, लंगड़ा जैसे कई उपनामों से भी जाना जाता है, को अक्टूबर 2022 में यूएपीए के तहत 'व्यक्तिगत आतंकवादी' घोषित किया गया था.
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जांच एजेंसियों को संदेह है कि साजिद जट्ट पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में लश्कर मुख्यालय से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहा है. वह TRF का ऑपरेशनल चीफ है और कश्मीर घाटी में भर्ती, फंडिंग और घुसपैठ के लिए जिम्मेदार है.
साजिद जट्ट ने जिन हमलों को अंजाम दिया उनमें 2023 का धंगरी हत्याकांड (वह मुख्य साजिशकर्ता था), मई 2024 में पुंछ में वायुसेना के काफिले पर हमला और जून 2024 में रियासी बस हमला शामिल है.
अन्य आरोपी
NIA ने तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों- सुलेमान शाह, हबीब ताहिर उर्फ जिब्रान और हमजा अफगानी को भी नामजद किया है, जिन्हें जुलाई में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया था. इसके अलावा, दो संदिग्धों-परवेज अहमद और बशीर अहमद को भी चार्जशीट किया गया है, जिन्हें इन आतंकवादियों को आश्रय देने के आरोप में 22 जून को गिरफ्तार किया गया था.
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आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023, शस्त्र अधिनियम, 1959, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिसमें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दंडात्मक प्रावधान भी शामिल है.