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'एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान' का संदेश, मोहन भागवत ने की जातिवाद से ऊपर उठने की अपील

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समुदाय में जातीय भेदभाव समाप्त करने की जरूरत पर जोर देते हुए "एक मंदिर, एक कुआं, और एक श्मशान" के सिद्धांत को अपनाने की अपील की है. उनका मानना है कि यह सामाजिक समरसता को बढ़ाते हुए भारत की वैश्विक जिम्मेदारियों को नि‍भाने में मदद करेगा.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (File Photo)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (File Photo)

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जातीय भेदभाव समाप्त कर सामाजिक एकता बनाने की अपील की है. अपने पांच दिवसीय अलीगढ़ दौरे के दौरान भागवत ने 'स्वयंसेवकों' को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू समाज को एक मंदिर, एक कुआं, और एक श्मशान के सिद्धांत को अपनाकर सामजिक एकता को सशक्त बनाना चाहिए.

मोहन भागवत ने कहा कि एकताई से ना सिर्फ सामाजिक स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की जिम्मेदारी को निभाया जा सकेगा. उन्होंने दो 'शाखाओं' में 'स्वयंसेवकों' से मुलाकात की और यह बात जोर देकर कही कि सच्ची सामाजिक एकता के बिना हम विश्व स्तर पर शांति स्थापित नहीं कर सकते.

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आरएसएस के सूत्रों के मुतापबिक, मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज का आधार "संस्कार" है, और समाज को पारंपरिक, सांस्कृतिक और नैतिक सिद्धांतों पर आधारित बनाना जरूरी है.

समाज के सभी तबकों से जुड़ने की अपील

मोहन भागवत ने 'स्वयंसेवकों' से अपील की कि वे समाज के सभी तबकों से जुड़ने की कोशिश करें और उन्हें अपने घरों में आमंत्रित करें ताकि जमीनी स्तर पर एकता और समरसता का पैगाम पहुंचाया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि परिवार सामाजिक इकाई का मूलभूत हिस्सा है, जिसे 'संस्कार' के मजबूत पारिवारिक मूल्यों पर खड़ा किया गया है.

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त्योहारों पर मिलकर उत्सव मनाने की अपील

RSS प्रमुख ने यह भी सुझाव दिया कि त्योहारों का सामूहिक रूप से उत्सव मनाया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीयता और सामाजिक एकता की जड़ें और मजबूत हों. उनका यह दौरा 17 अप्रैल को शुरू हुआ था, और लगातार आरएसएस के प्रचारकों के साथ बैठकें कर रहे हैं. यह 2025 में आने वाले विजयादशमी से आरएसएस के शताब्दी समारोह की तैयारियों का हिस्सा है.

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