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रिया चक्रवर्ती को मिली जमानत को मिसाल न माना जाए: NCB की गुहार सुप्रीम कोर्ट को स्वीकार

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिया चक्रवर्ती को जमानत पर रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि NDPS धारा 27A के तहत किसी को अवैध तस्करी के अपराधियो को शरण देने के अपराध के लिए अधिकतम 20 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है. 

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रिया चक्रवर्ती-फाइल फोटो
रिया चक्रवर्ती-फाइल फोटो

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को मुंबई हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा करने का आदेश देते समय NDPS एक्ट के प्रावधानों की व्याख्या किए जाने को मिसाल के तौर पर न माने जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो NCB ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हाईकोर्ट से रिया को दिए गए जमानत आदेश को हम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दे रहे है. हम तो कह रहे हैं कि कानून के प्रावधान की व्याख्या के कानूनी पहलू को चुनौती देने का विकल्प खुला रखा जाए. 

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिया चक्रवर्ती को जमानत पर रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि NDPS धारा 27A के तहत किसी को अवैध तस्करी के अपराधियो को शरण देने के अपराध के लिए अधिकतम 20 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है. 

रिया चक्रवर्ती को 2020 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे मुहैया कराने का मतलब यह नहीं है कि रिया चक्रवर्ती किसी अवैध तस्करी में शामिल थीं. साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को नशीली दवाओं के सेवन के लिए पैसे देने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया.

 

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