जी-20 समिट के लिए तैयारियां अंतिम फेज में हैं. आज से महज दो दिन बाद 9 और 10 सितंबर को देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होना है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 समिट को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं. एक अखबार में लिखे आर्टिकल में पीएम मोदी ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है. इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है.
वसुधैव कुटुंबकम के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा,'यह ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है, जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है. एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन नहीं है. ऐसे समय, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, तब यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है. मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए हम एक धरती के रूप में साथ आ रहे हैं. विकास के लिए हम एक परिवार के रूप में एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं और हम एक साथ समान एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए आगे बढ़ रहे हैं.
कोविड के बाद हुए 3 परिवर्तनों पर दिया जोर
कोरोना महामारी के बाद हुए बदलाव पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा,'कोविड के बाद से विश्व व्यवस्था पहले से काफी अलग हो चुकी है. कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिसमें तीन परिवर्तन अहम हैं. पहला यह है कि इस बात का अहसास बढ़ रहा कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की तरफ बढ़ने की जरूरत है. दूसरा यह कि दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को अब पहचान रही है और तीसरा यह कि वैश्विक संस्थानों में सुधार के जरिए बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है. इन बदलावों में जी-20 की हमारी अध्यक्षता ने उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है.'
पिछली समिट में कही गई बातों को किया याद
जी-20 से जुड़ी पुरानी बातों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा,'दिसंबर 2022 में जब हमने इंडोनेशिया से अध्यक्षता का भार संभाला था, तब मैंने कहा था कि जी-20 को मानसिकता में आमूल-चूल परिवर्तन का वाहक बनना चाहिए. विकासशील, ग्लोबल साउथ और अफ्रीकी देशों की हाशिए पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी विशेष आवश्यकता है. इसी सोच के साथ भारत ने ‘वायस आफ ग्लोबल साउथ समिट’ का आयोजन किया. इसमें 125 देश भागीदार बने. यह भारत की अध्यक्षता के तहत की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक रही है.'
एक्शन प्लान निर्धारित करेगा भविष्य की दिशा
उन्होंने आगे कहा,'हमारी अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया गया. चूंकि दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में हमारी चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं. यह 2030 के एजेंडे के मध्य काल का वर्ष है और कई लोग चिंता जता रहे हैं कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के मुद्दे पर प्रगति पटरी से उतर गई है. एसडीजी के मोर्चे पर तेजी लाने से संबंधित जी-20 का 2023 एक्शन प्लान भविष्य की दिशा निर्धारित करेगा. इससे एसडीजी हासिल करने का रास्ता तैयार होगा.'
पाबंदियों वाले रवैये को बदलना होगा
पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन को लेकर सामने आ रहीं चुनौतियों पर कहा कि भारत में प्राचीन काल से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना हमारा आदर्श रहा है. हमारा मानना है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पाबंदियों वाले रवैये को बदलना चाहिए. ‘क्या नहीं किया जाना चाहिए’ से हटकर ‘क्या किया जा सकता है’ वाले सोच के साथ आगे बढ़ना होगा. हमें एक रचनात्मक कार्यसंस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ हमारी अध्यक्षता में स्वच्छ एवं ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित एक ग्लोबल इकोसिस्टम तैयार होगा. 2015 में हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस का शुभारंभ किया. अब ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस के माध्यम से हम दुनिया को एनर्जी ट्रांजिशन के योग्य बनाने में सहयोग करेंगे. इससे सर्कुलर इकोनमी का फायदा ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा.
पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती
उन्होंने आगे कहा,'जिस प्रकार लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के निर्णय लेते हैं, उसी प्रकार वे धरती की सेहत पर होने वाले असर को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली तय कर सकते हैं. जैसे योग वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, उसी तरह हम लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी. इससे निपटने में मोटे अनाज से बड़ी मदद मिल सकती है. हमारी श्रीअन्न योजना क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर को भी बढ़ावा दे रही है.'
तकनीक परिवर्तनकारी, लेकिन...
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी की डीपीआई के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा,'तकनीक परिवर्तनकारी है, लेकिन इसे समावेशी बनाने की जरूरत है. अतीत में, तकनीकी प्रगति का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से नहीं मिला. भारत ने दिखाया है कि कैसे तकनीक का लाभ उठाकर असमानता को कम किया जा सकता है. दुनिया के अरबों लोग, जिनके पास बैंकिंग सुविधा या डिजिटल पहचान नहीं, उन्हें डीपीआइ के माध्यम से साथ लिया जा सकता है. डीपीआइ का उपयोग कर हमने जो परिणाम प्राप्त किए, उन्हें पूरी दुनिया देख रही और उसके महत्व को स्वीकार भी कर रही है. अब जी-20 के माध्यम से हम विकासशील देशों को डीपीआइ अपनाने में मदद करेंगे, ताकि वे समावेशी विकास की ताकत हासिल कर सकें.'