संसद का शीतकालीन सत्र इस साल 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा. कुल मिलाकर यह 19 दिन का सत्र होगा, जिसमें 15 बैठकें आयोजित की जाएंगी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के शीतकालीन सत्र के शेड्यूल को मंजूरी दे दी है. इस सत्र में देश के राजनीतिक और विधायी कामकाज के लिए कई अहम मुद्दों पर चर्चा और निर्णय हो सकती है.
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों का इस सत्र पर असर साफ दिखेगा. विपक्ष इस दौरान सरकार को घेरने की योजना बना सकता है, खासकर जब देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) पर विरोध की आवाज़ें उठ सकती हैं. मतदाता सूची में मिली गड़बड़ियों को लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ सवाल उठाएगा.
सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल पारित कराने का प्रयास करेगी. इनमें संविधान के 129वें और 130वें संशोधन बिल, जन विश्वास बिल, और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बिल जैसे बड़े विधेयक शामिल हैं. इन विधेयकों के पारित होने से देश के कानून और प्रशासन में सुधार की उम्मीद की जा रही है.
यह शीतकालीन सत्र सिर्फ विधायी कामकाज का ही नहीं, बल्कि आगामी चुनावों के लिहाज से भी बहुत अहम होगा. सरकार और सांसदों के लिए यह चुनौती भरा और निर्णायक समय होगा.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी
केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए संसद के शीतकालीन सत्र को 1 दिसंबर 2025 से 19 दिसंबर 2025 तक आयोजित करने की अनुमति दी है. हालांकि, यह अवधि संसदीय कार्यों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित की जा सकती है.
संसद का यह सत्र वर्ष का अंतिम सत्र होगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने की संभावना है. सरकार ने कहा है कि इस सत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के उद्देश्य से रचनात्मक एवं सार्थक बहस की उम्मीद है.
जयराम रमेश बोले – संसद का शीतकालीन सत्र देर से बुलाया गया और छोटा रखा गया, सरकार के पास न काम है, न बहस की इच्छा
संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों की घोषणा के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि यह सत्र असामान्य रूप से देर से बुलाया गया है और इसे जानबूझकर छोटा रखा गया है.
जयराम रमेश ने कहा, “शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें केवल 15 कार्यदिवस होंगे. यह बेहद सीमित अवधि है. इससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार के पास न कोई नया विधेयक है, न कोई ठोस मुद्दा, और न ही बहस कराने की मंशा.”
उन्होंने कहा कि संसद का उद्देश्य जनता की आवाज़ उठाना और सरकार की जवाबदेही तय करना है, लेकिन सरकार लगातार संसद को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
“यह संदेश साफ है कि सरकार बहस से डरती है, उसे सवाल पसंद नहीं और वह बिना चर्चा के फैसले लेना चाहती है,” रमेश ने कहा.
विशेष विषय
सत्र के दौरान मतदाता सूची सुधार और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता जैसे विषयों पर ध्यान होगा. साथ ही संविधान संशोधन और अन्य बड़े बिलों पर भी चर्चा होगी.
भविष्य की दिशा
सत्र में पारित कानून देश के प्रशासनिक ढांचे और न्याय व्यवस्था को मजबूत करेंगे, जिससे नागरिकों को बेहतर सुविधा और सुरक्षा मिल सकेगी.