मणिपुर में राजनीतिक हलचल एक बार फिर बढ़ गई है. राज्य विधानसभा अध्यक्ष के ट्रिब्यूनल ने नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के चार विधायकों को दलबदल के आरोपों के जवाब देने का नोटिस जारी किया है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष हरेश्वर गोस्वामी ने इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी, जब वे 2024 में मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह द्वारा आयोजित भाजपा विधायकों की बैठक में शामिल हुए थे, जबकि NPP ने बिरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.
विधानसभा के अधिकारियों ने बताया कि एनपीपी विधायकों - एम रमेश्वर, जे पामेई, ईरेंगबम नलिनी देवी और थोंगम शांति को यह नोटिस भेजा गया है. नोटिस में उनसे 11 फरवरी तक अपने लिखित जवाब देने को कहा गया है, और मामले की सुनवाई 12 फरवरी को सुबह 9.30 बजे होगी. उन्हें व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत वकील के माध्यम से पेश होने को कहा गया है.
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विधानसभा में NPP के कुल सात विधायक
60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में NPP के कुल सात विधायक हैं. इनके अलावा, मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष के पास जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायकों की अयोग्यता का निर्णय सुरक्षित है, जिन्होंने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया था. इन मामलों की आखिरी सुनवाई शुक्रवार को की गई, जो 2022 से चल रहे एक कानूनी संघर्ष का अंतिम चरण था.
अयोग्यता का सामाना कर रहे ये पांच जदयू विधायक
पांच जदयू विधायक - खुमुकचम जॉयकिशन, नगुरसंग्लुर सनटे, एम अशाबुद्दीन, थंगजाम अरुणकुमार और एलएम खाऊते, दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता का सामाना कर रहे हैं. याचिकाकर्ता के वकील एम भूपेंद्र ने तर्क दिया कि इन विधायकों ने जद(यू) से बीजेपी में दलबदल किया है, और उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने स्पीकर के ट्रिब्यूनल से विधायकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की.
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अगर ठहराए गए अयोग्य तो होंगे उपचुनाव
इस मामले की सुनवाई के पूरा होने के बाद, विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है. जब यह फैसला आएगा, तो इसका मणिपुर की राजनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. अगर पांच विधायक अयोग्य घोषित होते हैं, तो उप-चुनाव होंगे, जिससे संसद के समीकरण बदल सकते हैं.