कर्नाटक सरकार कैबिनेट में एक नया बिल लाने की तैयारी में है. जिसका नाम है 'रेगुलेशन ऑफ यूज ऑफ गवर्नमेंट प्रिमाइसेस एंड प्रॉपर्टीज बिल 2025'. इसका मकसद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसे संगठनों की सरकारी प्रॉपर्टीज में होने वाली गतिविधियों पर रोक लगाना है.
लॉ डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक, सरकारी परिसर में किसी भी धार्मिक या राजनीतिक प्रोग्राम के लिए अनिवार्य परमिशन लेनी होगी. डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस इजाजत देने वाले अधिकारी होंगे.
बिल में उल्लंघन के लिए सख्त सजा का प्रावधान है. पहली बार उल्लंघन करने पर दो साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है, जबकि दोबारा उल्लंघन करने पर तीन साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है. लगातार उल्लंघन करने पर हर दिन 5,000 रुपये की पेनल्टी का प्रस्ताव है.
यह कदम मंत्री प्रियांक खरगे द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे गए एक पत्र के बाद आया है, जिसमें उन्होंने सरकारी परिसरों में RSS की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी.
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ग्रामीण विकास और आईटी मंत्री ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि RSS सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिरों में शाखाएं और सभाएं आयोजित करके बच्चों और युवाओं के बीच विभाजनकारी विचार फैला रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इन प्रोग्राम्स पर पूरी तरह से बैन लगाने का आग्रह किया और इन्हें असंवैधानिक और राष्ट्रीय एकता की भावना के खिलाफ बताया था.
उन्होंने सिद्धारमैया को एक और पत्र लिखकर RSS और इस तरह के संगठनों द्वारा आयोजित प्रोग्राम्स में हिस्सा लेने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने निर्देश जारी करने का अनुरोध किया ताकि ऐसी भागीदारी पर सख्त रोक लगाई जा सके और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी.