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बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ गुवाहाटी पहुंची जनहित पार्टी, CM हिमंता को सौंपेगी ज्ञापन

जनहित पार्टी उत्तर भारत के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन और जनजागरण कार्यक्रम आयोजित करने के बाद गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को ज्ञापन सौंपेगी. पार्टी का यह अभियान 11 नवंबर 2024 को असम की राजधानी गुवाहाटी से ही शुरू हुआ था.

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जनहित पार्टी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है. (Photo- ITG)
जनहित पार्टी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है. (Photo- ITG)

बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ चलाए जा रहे ‘घुसपैठिया भगाओ, देश बचाओ’ अभियान के तहत जनहित पार्टी असम पहुंच गई है. उत्तर भारत के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन और जनजागरण कार्यक्रम आयोजित करने के बाद पार्टी गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को ज्ञापन सौंपेगी. पार्टी एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं और बड़े पैमाने पर घुसपैठियों के नाम शामिल होने का मुद्दा उठाएगी.

जनहित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय जैन ने बताया कि पार्टी का यह अभियान 11 नवंबर 2024 को असम की राजधानी गुवाहाटी से ही शुरू हुआ था. इसके बाद यह अभियान मध्य प्रदेश के सभी जिलों, उत्तर प्रदेश के कानपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र, झारखंड के संथाल परगना इलाके तथा राजस्थान के कुछ हिस्सों तक पहुंचा. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने लगभग छह लाख पत्रक वितरित किए और करीब 500 छोटी नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया. उन्होंने बताया कि जनहित पार्टी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है.

पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री मनीष काले ने कहा कि अभियान के अगले चरण के तहत 16 दिसंबर विजय दिवस पर देशभर से जनहित पार्टी के कार्यकर्ता गुवाहाटी पहुंचे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम में एनआरसी की प्रक्रिया तो पूरी की गई, लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर कथित घोटाले हुए. इसके चलते लगभग 80 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए खुद को भारतीय नागरिक साबित करने में सफल हो गए. उन्होंने इसे असम के भावी अस्तित्व के साथ ही पूरे देश की सुरक्षा और उसकी अखंडता के लिए खतरा बताया.

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पार्टी की प्रमुख मांगों में बांग्लादेशी घुसपैठियों से भरी असम की राष्ट्रीय नागरिकता सूची को खारिज करने, असम समझौते को निरस्त कर असम में घुसपैठियों का प्रवेश वर्ष 1971 से बदलकर वापस 1951 करने और पूरी एनआरसी की प्रक्रिया दोबारा करवाना शामिल है. पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी इन मांगों को लेकर गुरुवार को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा को ज्ञापन सौंपेगा.

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