बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) शुरू कर दिया है. इस प्रक्रिया के तहत हर निर्वाचक की पात्रता का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है. यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ संचालित की जा रही है.
बिहार के बाद यह विशेष पुनरीक्षण अभियान पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में भी प्रारंभ किया जाएगा, जहां विधानसभा का कार्यकाल मई 2026 में पूरा होगा. अनुमान है कि इन राज्यों में चुनाव की घोषणा अप्रैल 2026 में हो सकती है. वहीं बिहार विधानसभा का कार्यकाल इस साल 23 नवंबर तक है, जिसके चलते राज्य में यह प्रक्रिया अन्य राज्यों की तुलना में पहले शुरू कर दी गई है.
क्यों जरूरी है विशेष गहन पुनरीक्षण
निर्वाचन आयोग के अनुसार, हर साल मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया सामान्य तौर पर होती है, लेकिन चुनावी वर्ष में इसे विशेष रूप से गहन किया जाता है, ताकि चुनाव से पहले मतदाता सूची एकदम अद्यतन और सही हो. भारत का संविधान, खासकर अनुच्छेद 326, यह सुनिश्चित करता है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीय नागरिक जो अपने क्षेत्र के सामान्य निवासी हैं, उन्हें मतदान का अधिकार मिले.
कैसे चल रही है यह प्रक्रिया
बिहार में 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है. वर्तमान में राज्य में 7,89,69,844 पंजीकृत मतदाता हैं. आयोग इनके लिए नए गणना फॉर्म (ईएफ) की छपाई और वितरण कर रहा है. इनमें से 4.96 करोड़ मतदाताओं का केवल सत्यापन किया जा रहा है, जिनके नाम पहले से ही 1 जनवरी 2023 की सूची में हैं.
तकनीक और मैदानी स्तर पर जुटी टीम
बीएलओ: आयोग के पास पहले से 77,895 बूथ लेवल अधिकारी (BLO) हैं, और 20,603 नए BLO की नियुक्ति की जा रही है.
बीएलए: सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों ने मिलकर अब तक 1,54,977 बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त किए हैं.
वालंटियर्स: इस पुनरीक्षण कार्य में एक लाख से अधिक वालंटियर्स खास तौर पर वृद्ध, दिव्यांग, बीमार और कमजोर वर्गों की मदद कर रहे हैं.
डिजिटल विकल्प: गणना फॉर्म को ऑनलाइन भरने की सुविधा भी शुरू कर दी गई है.
एसएमएस से जुड़ रहा है हर मतदाता
बिहार के 5.74 करोड़ पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर मतदाता सूची से संबंधित जानकारी एसएमएस के माध्यम से भेजी जा रही है, ताकि हर व्यक्ति तक सूचना समय से पहुंचे. सभी प्रमंडलीय आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट अपने-अपने क्षेत्र में बीएलओ को पूर्णकालिक रूप से काम पर लगाए हुए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए.