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अक्टूबर में महंगाई घटी, क्या आपकी जेब पर दिखी? : आज का दिन, 15 नवंबर

G20 समिट से इस बार क्या हैं उम्मीदें, अक्टूबर महीने में महंगाई में गिरावट की क्या वजहें रहीं और बढ़ती आबादी के क्या नुकसान हैं? सुनिए 'आज का दिन' में.

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अक्टूबर महीने में महंगाई में गिरावट की क्या वजहें रहीं
अक्टूबर महीने में महंगाई में गिरावट की क्या वजहें रहीं

G20 या ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक ग्रुप है. इस समूह में यूरोपियन यूनियन समेत 19 राष्ट्र शामिल हैं. दुनिया का 85 फ़ीसदी आर्थिक उत्पादन और 75 फ़ीसदी कारोबार जी20 समूह के देशों में ही होता है. दुनिया भर की जो कॉमन समस्याएं हैं उनको एड्रेस करने के लिए 1999 में इसको बनाया गया था. इसके नेता वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने से जुड़ी योजना बनाने के लिए जुटते हैं.  इंडोनेशिया के बाली में इसकी समिट शुरू हो रही है आज. कल इस समिट से पहले जो बाइडेन और शी जिनपिंग की मुलाकात भी हुई थी. लेकिन आज जब ये समिट शुरू हो रही है तो तमाम मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सारे देश बात करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी समेत 19 देशों के सारे नेता पहुंच चुके हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जगह पर उनके विदेश मंत्री हैं. तो इस मीटिंग का एजेंडा और पूरा कार्यक्रम क्या रहने वाला है और भारत के लिए कितनी अहम है समिट? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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महंगाई से इस समय पूरी दुनिया जूझ रही है. भारत भी इससे अछूता नहीं. लेकिन कल आरबीआई ने अक्टूबर महीने में महंगाई के जो आंकड़े जारी किए हैं वो थोड़े राहत देने वाले हैं. अक्टूबर महीने में रिटेल महंगाई घटकर 6.77% हो गई है. सितंबर में ये 7.41% थी. हालांकि ये महंगाई  एक साल पहले यानी अक्टूबर 2021 में 4.48% थी. ये तो रिटेल यानी खुदरा महंगाई की बात हुई, थोक महंगाई में आई गिरावट इससे ज्यादा है. अक्टूबर महीने में 8.39% पर आ गई है, जो पिछले अठारह महीने में सबसे कम है. इससे पहले सितंबर में ये 10.70%, अगस्त में 12.41% और जुलाई में 13.93% पर थी. ये नम्बर्स किस तरह से डिसाइड किये जाते हैं और इसका असर हमारी जेबों पर किस तरह दिखाई देता है?  'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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आज दुनिया भर की आबादी 800 करोड़ हो जाएगी. यूएन की एक रिपोर्ट ने ये अनुमान जताया है और चिंता भी कि आने वाले दिनों में रिसोर्सेस के लिहाज से मामला मुश्किल होने जा रहा है. बढ़ती आबादी की गति कितनी तेज़ है ये इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि दुनिया की आबादी सौ करोड़ से दो सौ करोड़ होने में हमें 125 साल लगे थे. लेकिन अब 700 से 800 करोड़ होने का समय सिर्फ 12 साल है. यूएन ने इस रिपोर्ट में बढ़ती आबादी के नुक़सान भी बताए हैं.. विज्ञान कहता है कि तरक्की ने बीमारियों से मरने वालों की संख्या कम कर दी है लेकिन लोगों की बढ़ रही संख्या हमें अलग तरह से परेशान करने जा रही है ये तय है. तो बढ़ती आबादी कितना गंभीर खतरा है?  'आज का दिन' में सुनने के लिए  क्लिक करें. 

 

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