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'शांतिकाल अब खत्म हो रहा...', आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने दुनिया के हालात पर चेताया

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में चेतावनी दी कि दुनिया में लंबे समय से चला आ रहा शांति काल खत्म हो रहा है. 50 से ज्यादा वैश्विक संघर्षों के कारण हालात बेहद अस्थिर हो चुके हैं. उन्होंने आत्मनिर्भरता, इनोवेशन, इकोसिस्टम सुधार और मिलिट्री-सिविल फ्यूजन को सेना के भविष्य के लिए जरूरी बताया.

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सेना प्रमुख ने बताया कि सेना का ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप प्रधानमंत्री के 5S विजन पर आधारित है. (File Photo: PTI)
सेना प्रमुख ने बताया कि सेना का ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप प्रधानमंत्री के 5S विजन पर आधारित है. (File Photo: PTI)

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने दुनिया के मौजूदा हालात पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि 'लंबे समय से चला आ रहा शांति काल अब खत्म हो रहा है और विश्व एक अनिश्चित व बिखरी हुई व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है.'

उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया में 50 से ज्यादा सक्रिय संघर्ष चल रहे हैं, जो हालात को बेहद अस्थिर बना रहे हैं. जनरल द्विवेदी ने यह बयान चाणक्य डिफेंस डायलॉग में भारतीय सेना के भविष्य के रोडमैप को पेश करते हुए दिया.

भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता

यूं तो पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध कभी मित्रतापूर्ण नहीं रहे. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह तल्खी अपने चरम पर है. दूसरी ओर चीन है जिससे लद्दाख में कई दौर की बातचीत के बाद बात बनी तो अरुणाचल प्रदेश में घूम फिरकर फिर कूटनीतिक तनाव आ गया. नेपाल के अंदरूनी हालात लंबे समय से अस्थिर बने हुए हैं. ऐसा ही हाल बांग्लादेश और म्यांमार का भी है. पड़ोसियों के साथ उतार-चढ़ाव से भरे इन संबंधों के बीच सेना प्रमुख का यह बयान अपने आप में कई मायने रखता है.

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सेना प्रमुख ने मंच से सवाल उठाया कि 'भारतीय सेना को निर्णायक और हमेशा तैयार बनाए रखने के लिए किस तरह का बदलाव जरूरी है.' उन्होंने बताया कि सेना का ट्रांसफॉर्मेशन ब्लूप्रिंट प्रधानमंत्री की 5S विजन- सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा- पर आधारित है. 

जनरल द्विवेदी ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए तीन-चरणीय रोडमैप भी पेश किया: 

पहला चरण OP 2032- तेज बदलाव का दशक.

दूसरा चरण STEP 2037- अब तक की उपलब्धियों को मजबूत किया जाएगा.

तीसरा चरण Jump 2047- सेना को पूरी तरह एकीकृत और भविष्य के लिए तैयार बल बनाया जाएगा.

भविष्य की सेना के लिए उन्होंने चार बड़े ‘स्प्रिंगबोर्ड’ भी बताए: 

1. आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण- रक्षा निर्माण, स्पेस टेक्नोलॉजी और सेना में स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल में सुधार हुआ है, लेकिन अभी इससे कहीं ज्यादा काम किया जाना बाकी है.

2. इनोवेशन को बढ़ाना- AI, साइबर, क्वांटम, ऑटोनॉमस सिस्टम और एडवांस्ड मटीरियल्स जैसे क्षेत्रों में अब प्रयोग के स्तर से आगे बढ़कर बड़े पैमाने पर प्रभाव डालने की जरूरत है.

3. अडेप्टेशन और इकोसिस्टम सुधार- रक्षा ढांचे को राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों के अनुरूप ढालना जरूरी है. इसके लिए संवाद में शामिल विशेषज्ञों से ठोस सुझाव भी मांगे गए हैं.

4. मिलिट्री–सिविल फ्यूजन- शिक्षा, उद्योग और सेना के बीच गहरी तालमेल की जरूरत बताई गई है. इस पर जोर देते हुए कहा गया कि भारत अब अपनी झिझक छोड़कर टेस्टिंग रेंज खोल रहा है, स्टार्ट-अप्स को फंडिंग दे रहा है और राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों से जुड़ रहा है.

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