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क्या धनखड़ की मिमिक्री का मुद्दा उठाकर बीजेपी और सरकार ने बाजी पलट दी है?

संसद के शीतकालीन सत्र में 13 दिसंबर को सुरक्षा उल्लंघन की घटना हुई तो विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना लिया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सदन में बयान देने की मांग तेज कर दी थी. सदन की कार्यवाही में हंगामा करने पर अब तक 143 विपक्षी सदस्यों को सस्पेंड किया गया है. इस बीच, उपराष्ट्रपति की मिमिक्री के बाद विपक्ष बैकफुट पर आ गया है.

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टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने मंगलवार को संसद में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री की थी.
टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने मंगलवार को संसद में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री की थी.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की संसद में मिमिक्री करने के मामले में टीएमसी-कांग्रेस समेत विपक्षी दल घिर गए हैं. बीजेपी ने विपक्ष पर हल्ला बोल दिया है. देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है. इस पूरे विवाद को किसान परिवार से लेकर जाट समाज तक से जोड़ दिया है. बीजेपी के साथ-साथ खुद उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विपक्ष पर जाट समाज और उनकी पृष्ठभूमि का अपमान करने का आरोप मढ़ दिया है. एक दिन पहले तक संसद में सुरक्षा चूक और सांसदों के निलंबन का जोर-शोर से मामला उठा रहे विपक्षी दल बुधवार को बैकफुट पर आ गए हैं. एक जरा सी चूक हुई और पॉलिटिकल सिनेरियो ही चेंज हो गया है.

दरअसल, संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हुआ और 22 दिसंबर तक चलना है. इस सत्र के 19 दिनों में 15 बैठकें होना प्रस्तावित थीं. संसदीय कार्यवाही चल ही रही थी कि 13 दिसंबर को संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर एक बड़ा घटनाक्रम हुआ. दो युवक संसद की दर्शक दीर्घा से वेल में कूद गए और हंगामा-नारेबाजी करने लगे. इन युवकों ने कलर स्प्रे हवा में उड़ाया तो सांसद भी दहशत में आ गए. किसी तरह दोनों युवकों को पकड़ा गया और सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया. ठीक उसी समय संसद के बाहर भी एक युवती और एक युवक ने हंगामा-नारेबाजी और कलर स्प्रे हवा में छोड़ा. इस पूरे मामले को संसद की सुरक्षा का उल्लंघन बताया गया. पुलिस ने देश विरोधी धाराओं UAPA के तहत एक्शन लिया.

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'संसद में सुरक्षा से चूक से हमलावर था विपक्ष'

विपक्षी सांसदों ने संसद में सुरक्षा चूक को बड़ा मुद्दा बनाने की रणनीति बनाई और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सदन में बयान देने की मांग तेज कर दी. अगले दिन यानी 14 दिसंबर को संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो दोनों सदनों में सुरक्षा चूक का मामला गूंजने लगा. स्पीकर और सभापति ने सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के आरोप में 14 सांसदों को सस्पेंड कर दिया. इनमें 13 लोकसभा और एक राज्यसभा का सदस्य था. उसके बाद 18 दिसंबर को एक बार फिर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के रुख में नरमी की बजाय तीखापन देखने को मिला. अब दो मसले उठाए गए. पहला- सुरक्षा में चूक और दूसरा- सांसदों का निलंबन. 

'गृह मंत्री के बयान की मांग पर अड़े थे विपक्षी नेता'

हंगामा बढ़ा और विपक्ष हमलावर रहा तो एक बार फिर कार्यवाही का चाबुक चलाया गया. इस बार दोनों सदनों से सीधे 78 सांसदों का निलंबन हुआ. इसमें 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा के सदस्य थे. विपक्ष अपनी मांग पर अडिग रहा. अगले दिन यानी 19 दिसंबर को शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने वही दोनों मांगें जोर-शोर से उठानी शुरू कर दीं. हंगामा इतना बढ़ा कि जो विधेयक एक दिन पहले पेश किए गए थे, उन पर चर्चा असंभव सी लगने लगी. इस बीच, सस्पेंशन पर एक्शन में कमी नहीं आई. मंगलवार को भी 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया. ये सभी लोकसभा सदस्य थे. बुधवार को दो और सांसद सस्पेंड किए गए.

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कल्याण बनर्जी

'अब तक 143 सदस्यों पर एक्शन'

इस तरह से संसद के इतिहास में सांसदों पर अब तक का सबसे बड़ा एक्शन लिया गया. निलंबित हुए सांसदों की संख्या 143 हो गई है. हालात यह हो गई कि शीतकालीन के बाकी सत्र के लिए कांग्रेस के 49 में से सिर्फ 9 सांसद ही बचे. विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक की बात की जाए तो दोनों सदनों से दो तिहाई से ज्यादा सदस्य निलंबित हो चुके हैं. इंडिया अलायंस में शामिल विपक्षी दलों के लोकसभा में 138 सांसद हैं. इनमें महज 43 सदस्य बचे हैं. कांग्रेस के कुल 49 सदस्य हैं. लेकिन निलंबन कार्रवाई के बाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत 9 सदस्य बचे हैं. टीएमसी के 22 में से 13 सदस्य बचे हैं.

'एक गलती हुई और हावी हो गया सत्ता पक्ष- एनडीए'

यहां तक बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार चारों तरफ से घिरी देखी जा रही थी और विपक्ष पूरी तरह हावी था. लेकिन, विपक्षी सांसदों के एक समूह से बड़ी चूक हो गई. संसद से निलंबन के बाद विपक्षी सदस्य एकजुट हुए और संसद के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी समर्थन करने पहुंचे थे. इस बीच, जोश में आए टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने सीधे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को निशाने पर लिया. उन्होंने धनखड़ की मिमिक्री की और मजाक उड़ाया. जब कल्याण बनर्जी मिमिक्री कर रहे थे तो राहुल गांधी ने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो बनाने लगे. राहुल को हंसते और वीडियो बनाते देखे जाने पर बीजेपी आगबबूला हो गई और उसके हाथ बड़ा मुद्दा लग गया.

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'अब मिमिक्री पर बचते दिख रहा है विपक्ष'

बीजेपी ने तत्काल काउंटर अटैक किया और टीएमसी-कांग्रेस पर उपराष्ट्रपति का अपमान करने का आरोप लगाया. खुद उपराष्ट्रपति ने घटना पर दुख जताया. धनखड़ ने कहा, एक बड़े नेता, सांसद के असंसदीय व्यवहार का वीडियो बना रहे थे. उन्हें सद्बुद्धि आए. कुछ तो सीमा होती होगी. कुछ जगह तो बख्शो. धनखड़ ने विपक्ष के विरोध-प्रदर्शन के स्तर पर नाराजगी जताई. उसके बाद जब 20 नवंबर को संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो सदन में विपक्ष के सदस्य नाकाफी थे. उसके निलंबित सदस्यों को संसद में एंट्री तक नहीं थी. विपक्ष के पास मुद्दे उठाने के लिए सदस्य ही नहीं थे और बीजेपी पूरी तरह से उपराष्ट्रपति के अपमान पर विपक्ष पर हमलावर थी. बीजेपी के नेताओं से लेकर संसदीय कार्य मंत्री तक ने सदन में इस मसले को उठाया. जो विपक्ष कल तक देशभर में अपने आंदोलन का दम भर रहा था, बुधवार को टीएमसी नेता के बचाव में या किनारे करते देखा गया.

धनखड़

सफाई में बोले कल्याण बनर्जी- मेरे मन में धनखड़ के प्रति सम्मान

विवाद बढ़ने पर टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस संबंध में टीएमसी संसदीय दल अपनी बात रखेगा. मिमिक्री करने वाले कल्याण बनर्जी भी सामने आए और सफाई में कहा कि धनखड़ जी के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. वे हमारे पूर्व गवर्नर रहे हैं. हमारे उपराष्ट्रपति हैं. मिमिक्री तो एक तरह की कला है, जिसका मैंने प्रदर्शन किया. यहां तक ​​कि पिछले दिनों पीएम ने लोकसभा में ही मिमिक्री भी की थी. मैं इसे आपको दिखा सकता हूं. सभी ने इसे सामान्य रूप से लिया. हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया. माफी मांगने के सवाल पर कल्याण बनर्जी NO कहकर आगे बढ़ गए.

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'निलंबित सांसदों पर चर्चा क्यों नहीं'

इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, हां मैंने वीडियो बनाया है. सांसद वहां बैठे थे, मैंने वीडियो बनाया है. सांसदों को उठाकर सदन के बाहर फेंका गया था. उस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो रही है. राफेल और अडानी पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है. इससे पहले राहुल ने कहा था कि मैं धनखड़ पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. 

'बीजेपी ने कांग्रेस समेत विपक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा'

इधर, NDA ने टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी और राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बुधवार को जगदीप धनखड़ के सम्मान में बीजेपी-एनडीए के सदस्यों ने राज्यसभा की कार्यवाही में एक घंटे खड़े होकर हिस्सा लिया. बीजेपी की महिला सांसदों ने दोपहर में संसद की गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया.  बीजेपी ने कहा कि वो देशभर में गुरुवार को विरोध-प्रदर्शन करेगी. कल दोपहर 12 से 3 बजे तक राहुल गांधी का पुतला फूंकने का भी ऐलान किया गया है.

'जाट समुदाय भी धनखड़ के समर्थन में आया'

पालम खाप प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा, यह बैठक इसलिए बुलाई गई है, क्योंकि एक किसान परिवार का अपमान हुआ है. उन्होंने कहा कि टीएमसी नेता (कल्याण बनर्जी) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और देशभर के लाखों किसानों से माफी मांगें या हम आज ही एक बड़ी बैठक बुलाएंगे. टीएमसी के खिलाफ विरोध किया जाएगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी का नाम भी सामने आया है. क्योंकि पूरे घटनाक्रम में उनका रवैया बहुत ही गैर-पेशेवर और हास्यास्पद था. हमारी एकमात्र मांग यह है कि एक किसान परिवार का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बता दें कि जाट समाज का राजस्थान, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में भी बड़ा वोटबैंक है.

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TMC
टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति की मिमिक्री की. (PTI)

'उपराष्ट्रपति का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान'

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, मैं इस घटना की घोर निंदा करता हूं.  ये लोग संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को अपमानित करते हैं. पीएम को भी अपमानित करते हैं.  क्योंकि ये सब गरीब बैकग्राउंड से आते हैं. आपको भी अपमानित किया. आप तो किसान बैकग्राउंड से हैं. उपराष्ट्रपति का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान. आपने सम्मान और इनके खिलाफ हम लोग (NDA सांसद) खड़े होकर संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेंगे.

'मेरी जाति का अपमान किया'

वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मुझे अपनी परवाह नहीं है, मैं ये बर्दाश्त कर सकता हूं. लेकिन मैं कुर्सी का अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा. इस कुर्सी की गरिमा बरकरार रखने की जिम्मेदारी मेरी है. मेरी जाति, मेरी पृष्ठभूमि, इस कुर्सी का अपमान किया गया है.

'लोकतांत्रिक परंपराओं पर काला धब्बा है मिमिक्री'

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ जी का जिस शर्मनाक तरीके से तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपमान किया है, वो भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं पर एक काला धब्बा है. सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान की परंपरा लोकतंत्र की जीवनी शक्ति है. परंतु दलगत विरोध को विद्वेष का रूप देकर संसदीय गरिमा का अवमूल्यन जिस निचले स्तर पर पहुंच रहा है, वह पूरे राजनीतिक वर्ग के लिए चिंता का विषय है. संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के प्रति इस तरह के अमर्यादित व्यवहार की मैं कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूं.

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