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दवा के लिए पानी की जगह दी बर्फ, सोने के लिए कंक्रीट का बिस्तर... US से डिपोर्ट 73 साल की सिख महिला की आपबीती

73 साल की सिख महिला हरजीत कौर, जो अमेरिका में 33 सालों से रह रही थीं, को हिरासत में कथित रूप से भोजन, दवा और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया. उनके वकील दीपक अहलूवालिया ने बताया कि उन्हें 60-70 घंटे बिना बिस्तर के फर्श पर सोना पड़ा, जब वे दवा मांगती थीं तो बर्फ का प्लेट दिया गया.

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बुजुर्ग महिला हरजीत कौर के साथ अमेरिका में दुर्व्यवहार हुआ (Photo: ITG)
बुजुर्ग महिला हरजीत कौर के साथ अमेरिका में दुर्व्यवहार हुआ (Photo: ITG)

भारतीयों के साथ विदेशों में दुर्व्यवहार करने के मामला समय-समय पर सामने आता रहता है. ऐसा ही एक मामला अमेरिका से आया है. तीस साल से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहने वाली सिख महिला हरजीत कौर के खिलाफ कथित तौर पर हिरासत के दौरान गंभीर दुर्व्यवहार हुआ. उनकी उम्र 73 साल है. महिला के वकील दीपक अहलूवालिया ने बताया कि हिरासत में उन्हें खाना और दवाई तक नहीं दी गई और जब उन्होंने दवाई लेने के लिए पानी मांगा, तो सिर्फ बर्फ की प्लेट दी गई. 

इतना ही नहीं, हरजीत कौर ने जब बताया कि उनके पास डेंटर्स (दांत) हैं और वह चबाकर नहीं खा सकतीं, तब एक अमेरिकी गार्ड ने कथित तौर पर कहा कि ये तुम्हारी गलती है. 

वकील अहलूवालिया ने बताया कि अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) के अधिकारियों ने कौर के साथ 'अस्वीकार्य' व्यवहार किया. उन्हें 60–70 घंटे तक बिना बिस्तर हिरासत में रखा गया और उन्हें फ्लोर पर सोना पड़ा, जबकि उन्होंने पहले दोनों घुटनों की सर्जरी करवाई थी.

अहलूवालिया ने कहा, 'उन्हें बिस्तर नहीं दिया गया और उन्हें हॉल्डिंग रूम साझा करना पड़ा. वहां सिर्फ कंक्रीट की बेंच थी. कंबल के साथ फर्श पर सोना पड़ा. घुटनों की सर्जरी के कारण उठना भी मुश्किल था.'

दवाई और खाना न मिलने की परेशानी

वकील ने बताया कि कौर जब दवाई लेने के लिए खाना मांगती थीं, तो उनकी मांगें नजरअंदाज कर दी जाती थीं. उन्हें केवल एक चीज़ सैंडविच दिया गया. जब उन्होंने फिर से कुछ खाने या पानी की मांग की, तो सिर्फ बर्फ की प्लेट दी गई. 

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यह भी पढ़ें: 73 साल की सिख महिला को US ने किया डिपोर्ट, बेड़ियों से बांधकर भेजा भारत, 33 साल से अमेरिका में रह रहा था परिवार

8 सितंबर को इमिग्रेशन चेक-इन के दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया और बैकर्सफील्ड के डिटेंशन सेंटर में रखा गया. 10 सितंबर को उन्हें हाथकड़ी में लॉस एंजेल्स ले जाया गया, फिर जॉर्जिया, आर्मेनिया और आखिरी में गुरुवार को दिल्ली लाया गया.

दिल्ली पहुंचकर क्या बोलीं महिला?

दिल्ली पहुंचने के बाद हरजीत कौर ने कहा, 'इतने साल वहां रहने के बाद अचानक हिरासत और डिपोर्टेशन का सामना करना, इससे बेहतर है कि मर जाऊं. ऐसे हालात में जीना मुश्किल है. देखिए मेरे पैर, गोबर की तीलियों जैसे सूजे हुए हैं. मुझे न दवाई मिली न चलने की ताकत.'

परिवार और समर्थकों की प्रतिक्रिया

कौर अब पंजाब में अपनी बहन के साथ मोहाली में रह रही हैं. उनके डिपोर्टेशन ने कैलिफ़ोर्निया में सिख समूहों और इमिग्रेंट राइट्स एक्टिविस्ट में गुस्सा पैदा कर दिया. समर्थकों ने 'हमारी दादी से हाथ हटाओ' और 'दादी को घर लाओ' जैसे नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

उनकी पोती सुखदीप कौर ने उन्हें 'स्वतंत्र, निःस्वार्थ और मेहनती महिला' बताया. छोटे भाई कुलवंत सिंह ने कहा, 'यह दुखद है कि उन्हें परिवार से अलग कर दिया गया. अब हम सभी परिवार के सदस्य उनकी देखभाल करेंगे.'

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