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'यह गंभीर मामला, अकेले की मौत नहीं...', सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी गोधरा के गुनाहगारों को जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन कांड मामले में 3 दोषियों को जमानत देने से इन्कार कर दिया है. सुनवाई के दौरान दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने अदालत को बताया कि पिछली बार 12 में से 8 लोगों को जमानत दे दी गई थी. अदालत ने कहा कि जिन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था, उन्हें जमानत नहीं दी गई.

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गोधरा के दोषियों की जमानत याचिका खारिज (फाइल फोटो)
गोधरा के दोषियों की जमानत याचिका खारिज (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन कांड मामले में 3 दोषियों को जमानत देने से इन्कार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के साथ टिप्पणी करते हुए कहा कि, यह बहुत गंभीर घटना थी और यह कोई अकेली मौत का मामला नहीं था.अदालत ने तीनों दोषियों को इस समय जमानत देने से इनकार कर दिया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उनकी विशिष्ट भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इस स्तर पर अदालत उन्हें जमानत नहीं दे सकती है. 

इसके पहले 12 में 8 लोगों को दी गई थी जमानत
सुनवाई के दौरान दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने अदालत को बताया कि पिछली बार 12 में से 8 लोगों को जमानत दे दी गई थी. अदालत ने कहा कि जिन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था, उन्हें जमानत नहीं दी गई. राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि आरोपी ट्रेन पर पथराव और आगजनी में करने में शामिल थे. उन्होंने एक गवाह के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जब वह एक केबिन के पास पहुंचा, तो उसने एक आरोपी को अन्य लोगों के साथ लोहे की सलाखों से ट्रेन को नुकसान पहुंचाते देखा. 

दोषियों की अपीलें अभी भी लंबितः सीजेआई
अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, इन तीनों की सक्रिय भूमिका थी, उनके खिलाफ विशिष्ट आरोप हैं. वरिष्ठ वकील हेगड़े ने तर्क दिया कि सोने के आभूषणों के संबंध में आरोप हैं, लेकिन कोई बरामदगी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एक आरोपी 20 साल तक हिरासत में रहा है. 'सवाल यह है कि जिम्मेदार भूमिका क्या है. यह घटना भी बहुत गंभीर घटना है. यह किसी अकेले व्यक्ति की हत्या का मामला नहीं है.' सीजेआई ने यह भी कहा कि इन दोषियों द्वारा अपनी सजा के खिलाफ दायर अपीलें अभी भी लंबित हैं. सीजेआई ने आगे कहा कि अपीलों पर अंततः सुनवाई होनी है और अदालत मामलों की सुनवाई के लिए एक उचित पीठ का गठन करेगी. 'किसी न किसी बिंदु पर किसी को यह सुनना होगा. हम इसे लंबित नहीं रख सकते हैं.'

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कब और कैसे हुआ था गोधरा कांड
27 फरवरी 2002 की तारीख भारतीय इतिहास में एक ऐसा दाग है जिसके माथे पर 59 लोगों की मौतों का कलंक है. यह वही तारीख है, जो गुजरात दंगों का कारण बनी और उनकी शुरुआत का जरिया भी बनी. इस तारीख को जो अमानवीय घटना सामने आई थी, उसके गोधरा ट्रेन कांड के तौर पर जाना जाता है.   27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में 59 लोगों की आग में जलकर मौत हो गई. ये सभी 'कारसेवक' थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे. 27 फरवरी की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची, उसके एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं और धुएं का गुबार निकलने लगा. साबरमती ट्रेन के S-6 कोच के अंदर भीषण आग लगी थी. जिससे कोच में मौजूद यात्री उसकी चपेट में आ गए. इनमें से ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे. आग से झुलसकर 59 कारसेवकों की मौत हो गई. जिसने इस घटना को बड़ा राजनीतिक रूप दे दिया और गुजरात के माथे पर एक अमिट दाग लगा दिया.

 

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